गणतंत्र दिवस पर यूपी तक शान से लहराएगा शमीम के आंगन में बना तिरंगा
बक्सर बात-बात पर मजहबी रंग देकर राजनीति की रोटी सेंकने वालों को डुमरांव नगर के ईश्व
बक्सर : बात-बात पर मजहबी रंग देकर राजनीति की रोटी सेंकने वालों को डुमरांव नगर के ईश्वरचंद की गली निवासी शमीम मंसूरी अपने ढंग से जवाब दे रहे हैं। तिरंगा का निर्माण करना इनके परिवार का पुश्तैनी काम है, शमीम मंसूर और इनके बच्चे इस काम को आगे बढ़ाकर देशभक्ति के जुनून को दिखा रहे हैं। इनके बनाए तिरंगा के कद्रदान पड़ोसी उत्तर प्रदेश के लोग भी हैं। ये हजारों राष्ट्रीय ध्वज को यूपी के बलिया, गाजीपुर जिले की खादी भंडार की दुकानों तक सप्लाई करने के लिए तैयार कर रहे हैं। गणतंत्र दिवस पर शमीम के आंगन में बना तिरंगा यूपी तक शान से लहराएगा।
शमीम पिछले ढाई दशक से राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम कर रहे हैं। ये पहले अकेले ही तिरंगा बनाते थे, अब इनका पूरा परिवार तिरंगे का निर्माण करता है। हजारों की संख्या में तिरंगे का निर्माण कर थोक भाव में व्यापारियों को देते हैं। शमीम मंसूरी बताते हैं कि इनके लिए आपसी भाईचारा और राष्ट्रीयता सबसे बड़ी चीज है। इनके बनाए तिरंगा का मुख्य खरीदार खादी भंडार के दुकानदार, जो इनके यहां बने तिरंगे झंडे को थोक में खरीदकर खुदरा दुकानदारों को सप्लाई करते हैं। पड़ोसी राज्य यूपी में भी होती है सप्लाई
राष्ट्रीय ध्वज के कारीगर शमीम मंसूरी कहते हैं कि उनके लिए यह गर्व की बात है कि उनके बनाए तिरंगा झंडा जिले के साथ ही पड़ोसी उत्तर प्रदेश में इस बार भी गणतंत्र दिवस पर शान से लहराएगा। इनके यहां बनाए गए राष्ट्रीय ध्वज आरा, बिक्रमगंज तथा यूपी के गाजीपुर व बलिया सहित अन्य कई जगहों पर सरकारी कार्यालयों पर फहराया जाता है। शमीम पांच रुपये से लेकर डेढ़ सौ रुपये तक के झंडे की सिलाई करते हैं, जिसका साइज अलग अलग होता है। आजादी के बाद से ही राष्ट्रीय ध्वज बनाता आ रहा शमीम का परिवार
शमीम मंसूरी बताते हैं कि देश को आजादी मिलने के साथ ही उनका परिवार तिरंगा बनाने का काम करता आ रहा है। पहले इनके दादा मोहम्मद शकीरा तिरंगे झंडे का निर्माण करते थे। उनकी मौत के बाद इनके पिता नन्हक मंसूरी ने लगातार कई दशकों तक राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम किया। पिता की मौत के बाद यह जुनून शमीम मंसूरी पर परवान चढ़ा और ये पिछले ढाई दशक से तिरंगे का निर्माण करते आ रहे हैं।
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पिछले डेढ़-दो साल से कोरोना संक्रमण को लेकर स्कूल-कालेज बंद होने के बाद से राष्ट्रीय त्योहारों पर तिरंगा झंडे की मांग कम हो गई है। वर्तमान समय में भी कोरोना संक्रमण का असर है, लेकिन राष्ट्रीय ध्वज बनाने का जुनून कम नहीं हुआ है। इस काम को आगे भी करते रहेंगे।
शमीम मंसूरी