डुमरांव अस्पताल में बीमार डॉक्टरों के हवाले मरीजों का इलाज
रहने का कारण बताकर खुद सेफजोन में चली गई। इसी प्रकार पुराना भोजपुर गांव की पूजा कुमारी नामक गर्भवती महिला को प्रसव के बाद बच्चा पैदा हुआ। प्रसूता महिला के पति संजय यादव की मानें तो बच्चा स्वस्थ पैदा हुआ था और रोया भी था। पीड़ित दंपती ने दावे के साथ बताया कि रात्रिकाल में कोई भी डॉक्टर नहीं था। प्रसव का कार्य अकेले जीएनएम एवं ममता द्वारा कराया गया था। इसी बीच पीड़ित दंपती के
बक्सर : सात अंचल को अपने दामन में समेटे डुमरांव अनुमंडल अस्पताल इन दिनों डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। आलम है कि प्रसव कक्ष महिला नर्स के बूते चलता है। रात्रिकाल में डॉक्टर का अता-पता नहीं रहता। आपातकाल में नर्स एवं जीएनएम को दूरभाष कर बुलाना पड़ता है।
बायोमेट्रिक सिस्टम से हाजिरी की व्यवस्था किए जाने के बाद से इस अस्पताल के कुल 8 डॉक्टर खुद की अस्वस्थता का हवाला देकर लंबे अवकाश पर चले गए हैं। कुल 60 शैय्या वाले अनुमंडलीय अस्पताल महज 2 महिला एवं 2 पुरूष चिकित्सक के बूते चल रहा है। डॉक्टरों की कमी के चलते अस्पताल में पदस्थापित डॉक्टर रोस्टर के अनुसार डयूटी करने की बजाय जोड़-तोड़ कर डयूटी करने पर मजबूर हैं। इसका खुलासा संबंधित अधिकारियों द्वारा अस्पताल के औचक निरीक्षण में हो चुका है। बावजूद, उच्चाधिकारी अनुमंडल अस्पताल में डॉक्टरों की व्यवस्था करने में अब तक विफल है। डॉक्टर की कमी के कोपभाजन का शिकार अस्पताल में प्रसव एवं इलाज कराने आनेवाले रोगी होते रहते हैं। इसकी बानगी सोमवार को दिखी। समय पर इलाज नही होने से बच्चे की मौत
अस्पताल में नवजात शिशु का इलाज कराने पहुंचे श्रीभगवान श्रीवास्तव के शिशु को डॉक्टर के समय पर उपलब्ध नहीं रहने के चलते ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं कराया जा सका। नतीजतन, नवजात शिशु ने अस्पताल परिसर में ही दम तोड़ दिया। जबकि, मौके पर मौजूद डॉक्टर प्रेमा प्रसाद नवजात शिशु के पूर्व से मृतक रहने का कारण बताकर खुद सेफजोन में चली गई। इसी प्रकार पुराना भोजपुर गांव की पूजा कुमारी नामक गर्भवती महिला को प्रसव के बाद बच्चा पैदा हुआ। प्रसूता महिला के पति संजय यादव की मानें तो बच्चा स्वस्थ पैदा हुआ था और रोया भी था। पीड़ित दंपती ने दावे के साथ बताया कि रात्रिकाल में कोई भी डॉक्टर नहीं था। प्रसव का कार्य अकेले जीएनएम एवं ममता द्वारा कराया गया था। डुमरांव अनुमंडल अस्पताल में कुछ दिन पूर्व ही प्रसव कराने पहुंची एक गर्भवती महिला की मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस घटना पर भी पर्दा डाल दिया गया। बता दें कि, अनुमंडल अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत का सिलसिला काफी दिनों से बना हुआ है। वहीं, रोगियों के अभिभावकों, एएनएम एवं डॉक्टर के बीच प्राय: नोंक-झोंक और मारपीट की घटना होती रहती है। - कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ.अनिल भटट् के पास रटा-रटाया जवाब था। अस्पताल में पैदा हुआ बच्चा मृत था। वहीं, इलाज कराने पहुंचे परिजन का नवजात भी पहले से मृत था। इस हालात में ऑक्सीजन देने की बात बेमानी थी। - बंध्याकरण में भी लापरवाही अनुमंडल अस्पताल में बंध्याकरण शिविर में भी लापरवाही का आलम बना रहता है। गत दिनों बंध्याकरण शिविर में हेपेटाइटिस-बी रोग से पीड़ित एक महिला रोगी का बंध्याकरण कर दिए जाने का मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा पूरे मामले पर लीपापोती कर दी गई। - कहते हैं एसडीओ अनुमंडलाधिकारी हरेन्द्र राम ने बताया कि घटना के दिन अनुमंडल अस्पताल में डॉक्टर के नदारद रहने की सूचना मिली है।