मेला में दिन चढ़ने के साथ बढ़ती गई भीड़
ए सलामती की दुआ मांगी। जैसे-जैसे दिन ढलता गया वैसे-वैसे भीड़ बढ़ती गई। बारह-एक बजते-बजते मेला में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। कहीं भी जाने के लिए एक बार सोचना पड़ता था। भीड़ का नजारा देखने से प्रतीत हो रहा था कि आसपास के सभी गांवों के लोग मेला घूम
बक्सर : सदर प्रखंड के भभुवर गांव में पंचकोसी परिक्रमा का तीसरा पड़ाव रहा। जहां सुबह से ही भार्गव तालाब का पूजन कर परिक्रमा शुरू हो चुकी थी। दूर-दराज की महिलाएं और पुरूष विभिन्न वाहनों से पहुंचे थे। जबकि, आसपास के गांव के श्रद्धालु पैदल आश्रम पहुंचे थे। जहां स्नान करने के उपरांत भगवान शिव का पूजन किया गया। तत्पश्चात लोगों ने तालाब की परिक्रमा शुरू कर दी।
जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, वैसे-वैसे भीड़ बढ़ती गई। बारह-एक बजते-बजते मेला में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। कहीं भी जाने के लिए एक बार सोचना पड़ता था। भीड़ का नजारा देखने से प्रतीत हो रहा था कि आसपास के सभी गांवों के लोग मेला घूमने आ गए हैं। कहीं खड़े रहने के लिए भी सोचना पड़ता था। भीड़ का आलम देर शाम तक बना रहा। श्रद्धालु महिलाएं हर्षोल्लासपूर्ण माहौल में प्रसाद ग्रहण करने में मशगूल रही। संत समाज ने बताया कि अगले दिन यानी बुधवार को चौथा पड़ाव नुआंव गांव में श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचेगा।
श्रद्धालुओं के लिए पेड़ों के बीच लगे टेंट
संवाद सहयोगी, इटाढ़ी (बक्सर) : पंचकोसी मेला को सफल बनाने के लिए स्थानीय लोग भी काफी सक्रिय रहे। इन लोगों द्वारा परिक्रमा कर आनेवाले श्रद्धालुओं के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही थी। भभुवर में बने भार्गव तालाब के किनारे काफी पेड़ लगे हुए है। जिनके बीच टेंट लगाए गए थे। ताकि, दूर-दराज से आनेवाले श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो। खासकर, महिलाओं को सोने-बैठने के लिए आराम मिले। वहीं, अन्य सुख-सुविधाओं का भरपूर ख्याल रखा गया था। ठंड के मौसम में परेशानी से बचने के लिए टेंट की व्यवस्था की गई थी। पंचकोसी परिक्रमा के तीसरे पड़ाव भभुवर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ी थी। आसपास के दर्जनों गांवों के लोग अपने परिवार संग मेला देखने और पूजा-अर्चना करने पहुंचे हुए थे। जहां पूजा के उपरांत प्रसाद ग्रहण करने के उपरांत मेला का लुत्फ उठाए। मेला में बच्चों ने खूब की मस्ती
संवाद सहयोगी, इटाढ़ी (बक्सर) : भभुवर गांव स्थित भार्गव सरोवर के तट पर लगे मेला में बच्चों के मनोरंजन के सभी समान उपलब्ध थे। झूला से लगायत उछल-कूद करने के संसाधन लगाए गए थे। चूड़ा-दही खाकर सभी बच्चे अपने तरीके से मेला का आनंद ले रहे थे। बसांव मठ के संस्कृत विद्यालय में संस्कृत की शिक्षा ले रहे बटुक ब्राह्मण विकाश चौबे, प्रकाश तिवारी, ओमजी मिश्रा, पवन पांडेय, मनीष राज पांडेय, अंकित पाठक, प्रियांशू पाठक, आकाश उपाध्याय, दीपक पांडेय सहित कई लोगों ने बताया कि पंचकोसी यात्रा के दौरान सभी गांवों में घूमने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। जिससे मेला में पूजा-अर्चना और परिक्रमा के साथ मनोरंजन का साधन भी मिल जाता है। मेला में चरखी, उछल-कूद करने सहित अन्य खेल के साधन उपलब्ध थे।