बक्सर : जिला पदाधिकारी अमन समीर ने बुधवार की शाम केशोपुर में नए सिरे से निर्माणाधीन जलशोध संस्थान का निरीक्षण किया। इस दौरान निर्माण कार्य की धीमी प्रगति पर असंतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने नामित कार्य एजेंसी के अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई। डीएम ने कहा कि रिवाइज प्राक्कलन के बावजूद अभी तक सरकार के इस महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण कार्य का गति नहीं पकड़ना काफी चिता का विषय है।
उन्होंने नामित कार्य एजेंसी को स्पष्ट रुप से हिदायत देते हुए कहा कि जल शोध संस्थान चालू करने के लिए सरकार द्वारा जो अवधि निर्धारित की गई है, उसका हर हाल में अनुपालन सुनिश्चित होना चाहिए। कार्य में लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जो लोग इसकी जद में आएंगे उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी। इस मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी अजय कुमार सिंह सहित कई अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। बताते चले कि 30 जून 2009 में सिमरी प्रखंड के आर्सेनिक प्रभावित गांवों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केशोपुर में केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से सवा सौ करोड़ की जलशोध संस्थान परियोजना का शुभारंभ किया गया था। 2012 में निर्माण कार्य पूरा कर लेने का समय निर्धारित था। परन्तु वह साकार नही हो पाया। अंतत: अब उसके स्थान पर इसकी जिम्मेदारी दूसरी कंपनी को सौंपा गया है।
51 गांवों के लोगों को मिलेगा शुद्ध पेयजल
केशोपुर में निर्माणाधीन जलशोध संस्थान का लाभ सिर्फ अंचल के 51 गांवों को मिलेगा। अंचल के शेष अन्य को प्रदूषित जल से निजात पाने के लिए इसके संवाहक स्त्रोतों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। अंचल कार्यालय से प्राप्त आकड़ों पर गौर किया जाय तो क्षेत्र में 87 चिरागी गांव हैं। परन्तु जल शोध संस्थान के माध्यम से मात्र 51 गांवों मे ही जलापूर्ति की जाएगी। ऐसी स्थिति मे 36 गांवों के लोगों को आर्सेनिक युक्त दूषित जल ग्रहण करने से मुक्ति नही मिलेगी।
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