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बालू मफियाओं ने पीपा पुल का बैरियर तोड़ा

बक्सर। बिहार यूपी के सीमावर्ती क्षेत्र नैनीजोर में बालू तस्करी का अवैध धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। तस्करों द्वारा पीपा पुल पर बने बैरियर को तोड़ दिया गया। इसकी जानकारी मिलते ही पुल निर्माण निगम द्वारा आनन-फानन में फिर से दूसरा बैरियर लगाया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 11:05 PM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 11:05 PM (IST)
बालू मफियाओं ने पीपा पुल का बैरियर तोड़ा
बालू मफियाओं ने पीपा पुल का बैरियर तोड़ा

बक्सर। बिहार यूपी के सीमावर्ती क्षेत्र नैनीजोर में बालू तस्करी का अवैध धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। तस्करों द्वारा पीपा पुल पर बने बैरियर को तोड़ दिया गया। इसकी जानकारी मिलते ही पुल निर्माण निगम द्वारा आनन-फानन में फिर से दूसरा बैरियर लगाया गया। हालांकि, पुल के रास्ते ओवरलोड वाहनों से बालू तस्करी का धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है।

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नैनीजोर के बिहार घाट पर गंगा नदी में बना पीपा पुल बालू तस्करी के लिए सीमावर्ती क्षेत्र में एक सेफ जोन बन गया है। उस गांव के अलावा चक्की तथा भोजपुर जिले के शाहपुर थाना क्षेत्रों में सक्रिय बालू माफिया ट्रैक्टर पर ओवरलोड बालू लाद कर पीपा पुल से बलिया जिले में जाते हैं और वहां मुंह मांगी कीमत पर बालू बेचकर सरकारी राजस्व का चूना लगाते हैं। पुल निर्माण निगम के अधिकारियों द्वारा ओवरलोड वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने के लिए प्रशासन के वरीय अधिकारी और पुलिस के पास पत्र भी भेजा। लेकिन बालू माफिया के सामने प्रशासन लाचार है और बड़े पैमाने पर ओवरलोड बालू से पुल जर्जर हो गया है। ऐसी स्थिति में किसी बड़े हादसे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। विभाग द्वारा बकायदा वहां एक बोर्ड लगा कर यह सूचना दी गई है कि पीपा पुल की क्षमता पांच एमटी तक भार सहन की है और 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार तय की गई है। लेकिन बालू माफिया सारे नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। हालांकि, पुल निर्माण निगम के द्वारा लगाया गया दूसरा बैरियर काफी ऊंचा है और ओवरलोड वाहनों को रोकने में सक्षम नहीं है।

पुल की सुरक्षा हेतु दूसरा बेरियर लगा

पुल निर्माण निगम के वरीय परियोजना अभियंता रामविलास यादव ने बताया कि पुल की सुरक्षा के लिए विभाग द्वारा दूसरी बार बेरियर लगाया गया है और पुल पर ओवरलोड वाहनों का परिचालन रोकने के लिए प्रयास भी किया जा रहा है। निगम का कहना है कि किसानों की फसल और चारा लाने में कोई कठिनाई न हो, इसलिए बेरियर की ऊंचाई थोड़ा अधिक की गई है। पुल का निर्माण भी किसानों की सुविधा और ग्रामीणों के आवागमन के लिए ही किया गया है, लेकिन बालू माफिया इसका गलत फायदा उठा रहे हैं।


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