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रामकलेवा के साथ सन्तों की हुई विदाई, भावुक हुए बक्सरवासी

भ दस दिवसीय इस महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार को कोहबर व राम कलेवा प्रसंग का मनोहारी मंचन किया गया। इसके उपरांत आश्रम के महंत राजाराम शरण जी महाराज द्वारा महोत्सव में शामिल हुए साधु-संतों व महात्माओं को विधिवत विदाई दी गई। जहां आश्रम वासियों के साथ-साथ महंत की आखें भी नम थी। वहीं विदाई के बाद साधु-संतों के मंगल आशीर्वाद से सभी गदगद हो गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 04:54 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 06:16 AM (IST)
रामकलेवा के साथ सन्तों की हुई विदाई, भावुक हुए बक्सरवासी
रामकलेवा के साथ सन्तों की हुई विदाई, भावुक हुए बक्सरवासी

बक्सर : महर्षि खाकी बाबा सरकार का 50वें निर्वाण दिवस के मौके पर 'श्री सीता राम विवाह महोत्सव' आश्रम में आयोजित सिय-पिय मिलन महोत्सव सोमवार को रामकलेवा के साथ सन्तों की विदाई करने के पश्चात विश्राम दे दिया गया। महोत्सव का मुख्य आकर्षण रविवार की देर रात सियाजी के साथ रघुबीर जी का विवाह रहा। जो प्रत्येक वर्ष अगहन मास की शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से आए साधु-संत समेत बक्सरवासी श्रद्धालु ठंड भरी रात में डटे रहे।

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इस दौरान विभिन्न मनमोहक झांकियों के बीच श्रीराम विवाह प्रसंग का मंचन किया गया। जिसे देख सभी लोग भावुक हो उठे। बताते चलें कि, 1962 से शुरू हुई बक्सर में इस परम्परा का निर्वहन प्रत्येक वर्ष किया जाता है। जहां, प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश के कोने-कोने से इस महोत्सव में भाग लेने पहुंचते है। धर्माचार्यों के अनुसार माता जानकी और प्रभु श्रीराम की जोड़ी को भारतीय संस्कृति में आदर्श दंपती के रूप में बताया गया है। जहां, प्रभु श्रीराम सदा मर्यादा का पालन करते हुए पुरुषोत्तम कहलाए। वहीं, माता जानकी ने सारे संसार के समक्ष पतिव्रता स्त्री होने का उदाहरण प्रस्तुत किया है। महोत्सव की खास बात यह रही कि इस बार विख्यात संत मोरारी बापू भी अपने मुखारविद से नौ दिनों तक रामकथा का अमृतपान कराए। पिछले 23 नवम्बर से प्रारंभ दस दिवसीय इस महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार को कोहबर व राम कलेवा प्रसंग का मनोहारी मंचन किया गया। इसके उपरांत आश्रम के महंत राजाराम शरण जी महाराज द्वारा महोत्सव में शामिल हुए साधु-संतों व महात्माओं को विधिवत विदाई दी गई। जहां, आश्रम वासियों के साथ-साथ महंत की आखें भी नम थी। वहीं, विदाई के बाद साधु-संतों के मंगल आशीर्वाद से सभी गदगद हो गए।


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