भू-जलस्तर नीचे खिसकने से हांफने लगे पंपसेट और बिजली मोटर
बक्सर बारिश के दगा देने से इलाके के किसान आफत में फंस गए हैं। बारिश नहीं होने से कृि
बक्सर : बारिश के दगा देने से इलाके के किसान आफत में फंस गए हैं। बारिश नहीं होने से कृषि कार्य के ऐन मौके पर खेतों की मिट्टी की परत सूखने लगी है। थोड़ा बहुत खेतों में रोपनी करने वाले किसान अब फसल बचाने को जद्दोजहद कर रहे हैं। खेती के लिए लगाए गए बिचड़ा वाले खेत में मोटी दरारें पड़ गई हैं। किसानों को यह भी चिता सता रही है कि अगर मौसम की बेरुखी ऐसी ही बनी रही तो पटवन के सहारे फसलों को बचाने की उनकी कोशिशें भी नाकाम साबित होगी।
किसान कहते हैं कि धान की फसलों में निरंतर नमी की जरूरत को केवल पटवन के सहारे पूरा नहीं किया जा सकता। अच्छी फसल व पैदावार के लिए बारिश का होना निहायत जरूरी है। अब किसानों की सभी उम्मीदें बारिश पर ही निर्भर है। अगर बारिश हुई तो धान की फसल बच जाएगी, नहीं तो किसानों को खेतों में धान की जगह ठूंठ ही हाथ आएगा। सबसे बड़ी समस्या तो यह हैं कि फिलहाल किसान अपने निजी संसाधनों के बदौलत खेतों में रोपाई करा रहे हैं और भू-जल स्तर नीचे खिसक रहा है। अगर बारिश नहीं हुई तो एक सप्ताह के अंदर भू-जलस्तर काफी नीचे चले जाने के बाद किसानों को फसल बचाना तो दूर अब पीने के लिए पानी की समस्या उत्पन्न हो सकती हैं। रोहिणी नक्षत्र से लेकर अब तक कभी-कभी बूंदा बांदी भले ही होती रही, लेकिन फसलों को लाभ पहुंचाने वाली एक बार भी जमकर बारिश नहीं हुई। ऐसी स्थिति में किसानों ने निजी संसाधन से खेत की सिचाई कर किसी तरह धान की रोपनी तो कर रहे हैं लेकिन अब धान की फसल को बचाने का संकट खड़ा हो सकता है। किसान भरत चौबे, कपिलमुनि पांडेय, राजकपिल महतो, मनोज यादव और दीप नारायण तिवारी सहित कई किसानों ने बताया कि किसान निजी संसाधनों से पौधों को जीवित रखने की कोशिश में लगे है लेकिन तीखी धूप के कारण झुलस रहे पौधों को देखकर किसानों के माथे पर बल पड़ गया है। ऐसी स्थिति मे अब गांवों में बारिश के लिए पूजा अर्चना होने लगी है। फिलहाल किसानों की सारी उम्मीदें बारिश पर निर्भर हो गई है।