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छठिया पोखरा सूरत से सुंदर पर सेहत से बीमार

बक्सर। सूबे में तालाबों के शहर में दरभंगा के बाद डुमरांव नगर का स्थान है। डुमरांव की सांस्कृतिक एवं

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Jun 2018 05:29 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jun 2018 05:29 PM (IST)
छठिया पोखरा सूरत से सुंदर पर सेहत से बीमार
छठिया पोखरा सूरत से सुंदर पर सेहत से बीमार

बक्सर। सूबे में तालाबों के शहर में दरभंगा के बाद डुमरांव नगर का स्थान है। डुमरांव की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक पहचान में तालाबों की अहम भूमिका है। डुमरांव के हर कोने पर तालाब मौजूद है। स्थानीय नगर में अधिकांश तालाब का निर्माण डुमरांव राज के वंशजो के सौजन्य से कराया गया है। इन्हीं तालाबों में एक नाम छठिया पोखरा का है। पर दुखद है कि मानव जीवन के अलावे अपने जल से भगवान भाष्कर को तृप्त करने वाला छठिया पोखरा खुद अतृप्त है।

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इस तालाब के सेहत एवं सूरत को बचाने को लेकर डुमरांव के नागरिकों ने समय समय पर संघर्ष करने का काम किया है। नागरिको के संघर्ष के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी के देख रेख में मुख्यमंत्री नगर विकास योजना की 34 लाख की राशि से छठिया पोखरा को सौंर्यीकरण का कार्य किया गया था। पोखरा के सौंदर्यीकरण में चारों तरफ कुल 14 छतरी सहित पथ-वे का निर्माण कार्य कराया गया। हालांकि, तालाब में पानी कैसे रहे, इसकी योजना कभी नहीं बनाई गई। अतीत के आइने में छठिया पोखरा छठिया पोखरा के नाम की चर्चा होते ही इस पोखरा की महता आस्थावानों के जेहन में आ जाती है। इस पोखरा पर आज भी समय समय पर मवेशी को मेला लगता है। जहां मवेशियों की खरीद बिक्री होती है। तालाब के चारों कोने पर मौजूद विभिन्न देवी देवताओं के मौजूद मंदिर तालाब की सुंदरता सहित सांस्कृतिक महत्व को कायम कर रखा है। बदहाली का आलम

कभी छठिया पोखरा का पानी बरसात के मौसम के आलावे जरूरत के अनुसार निकट में मौजूद कांव नदी का पानी स्थानांतरित किया जाता था। परन्तु कांव नदी में पानी का बहाव बंद होने के बाद बो¨रग के माध्यम से पानी का जमाव तालाब के अंदर किया जाता है। वहीं, तालाब के चारों दिशा में मौजूद घाट जर्जर हो चुके हैं। जबकि खुले भाग में सड़क किनारे मौजूद छठिया पोखरा का अधिकांश भाग अब तक कच्चा है। बरसात का मौसम आते ही तालाब के इर्द गिर्द डाला गया मिटी तालाब के अंदर समाहित हो जाता है। जिससे तालाब की गहराई घटती जा रही है। क्या कहते हैं नागरिक-

अधिवक्ता सह पूर्व पार्षद सुनिल तिवारी कहते हैं कि इस ऐतिहासिक छठिया पोखरा का पानी काफी प्रदूषित हो चुका है। पानी लोगो के स्नान करने योग्य नहीं रह गया है। यह तालाब महज मत्सय पालन का केन्द्र बनकर रह गया है।

.वयोवृद्ध समाजसेवी सत्यनारायण प्रसाद कहते हैं कि डुमरांव के अन्य तालाबों की तुलना में छठिया पोखरा कई ²ष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। पर इसके महत्व के प्रति नगर परिषद का ध्यान नहीं जा सका है। सांस्कृतिक रूप से देवमूंगा के बाद डुमरांव के छठिया पोखरा का स्थान है। .पार्षद सोनू राय कहते हैं कि छठिया पोखरा के आंतरिक भाग में यथा घाटों को क्रंकीट से निर्माण करने सहित आस पास के भाग का पीसीसी निर्माण कराने को लेकर जिलाधिकारी एवं सांसद सह केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चैबे का ध्यान आकृष्ट करा या गया है। जल्द कुछ होने की उम्मीद है। . राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण ¨सह के स्थानीय प्रतिनिधि प्रो.सुभाष ¨सह कहते हैं कि निकट भविष्य में सांसद कोष से करीब 60 लाख की राशि से छठिया पोखरा के सौंदर्यीकरण का कार्य होना है। इसके लिए कागजी प्रक्रिया चल रही है।


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