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पारंपरिक पकवान पिट्ठा दिवस पर लोगों में दिखा उत्साह

बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल को धान का कटोरा कहा जाता है। यानी यहां पर धान की खेती

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Dec 2020 08:53 PM (IST)Updated: Thu, 31 Dec 2020 08:53 PM (IST)
पारंपरिक पकवान पिट्ठा दिवस पर लोगों में दिखा उत्साह
पारंपरिक पकवान पिट्ठा दिवस पर लोगों में दिखा उत्साह

बक्सर : जिले के डुमरांव अनुमंडल को धान का कटोरा कहा जाता है। यानी यहां पर धान की खेती सबसे ज्यादा होती है। इसलिए यहां चावल और इससे बनने वाले पकवान मुख्य भोजन होते है। चावल प्रधान होने के नाते ही यहां के लोग चावल से बनने वाले पकवान बनाते और खाते हैं।

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गुरुवार को पिट्ठा दिवस के अवसर पर इलाके के विभिन्न भागों में लोग आलू मसाला, दाल मसाला और नये चावल के आटा से बने पिट्ठा बनाकर खाएं और नाते रिश्तेदारों को भी खिलाएं। यद्यपि कि भैया दूज के अवसर पर अमूमन हर घरों में आलू और चना दाल से निर्मित पिट्ठा बनाया जाता है। लेकिन 31 दिसंबर को पिट्ठा दिवस की जानकारी होने के बाद ग्रामीण व कस्बाई इलाके में रहने वाले लोगों में उत्साह देखने को मिला। महिलाओं द्वारा नए चावल के आटा से मसालेदार आलू और दाल से पिट्ठा बनाकर खाए और दूसरों को भी खिलाया गया।

सेहत के लिए फायदेमंद है पिट्ठा

नए चावल को भिगोकर उसे पीसा जाता है और मसालेदार आलू या चना दाल को पीसकर बनाया जाता है। पिट्ठा बनाने के कलाकार व सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर आजाद, दीप नारायण तिवारी और किसान कपिलमुनि पांडेय ने बताया इस इलाके में कई प्रकार से पिट्ठा बनाए जाते है, जिसमें आलू, दाल, खोवा-मेवा और चना का साग प्रसिद्ध वैरायटी है। इन्होंने बताया कि पिट्ठा के ही प्रजाति को भोजपुरी में दाल के दुल्हन भी कहा जाता है। चौगाई इलाके की गृहिणी लक्ष्मीना देवी, पार्वती देवी, कबूतरी देवी और सिधूजा दुबे, शोभा देवी व देवकुमारी ने बताया कि माह नवंबर से लेकर मार्च-अप्रैल तक ग्रामीण इलाकों में जीवन बसर करने वाले लोगों के लिए मुख्य भोजन पिट्ठा माना जाता है। चौगाईं में निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉ. देवानंद सिंह और मो. गुड्डू अंसारी ने बताया कि नए चावल से बने पिट्ठा और पकवान सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।


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