40 वर्षो से झोपड़ी में संचालित हो रहा चक्की ओपी
बक्सर। एक तरफ पुलिसवालों पर आम जन की सुरक्षा का महती कार्यभार है। वहीं दूसरी तरफ बुनि
बक्सर। एक तरफ पुलिसवालों पर आम जन की सुरक्षा का महती कार्यभार है। वहीं, दूसरी तरफ बुनियादी सुविधाओं के अभाव में चक्की ओपी के पुलिसकर्मी असुरक्षित तथा अव्यवस्थित ढंग से ड्यूटी करने को मजबूर हैं। आलम यह है कि 1980 में स्थापित चक्की ओपी तब से आज तक झोपड़ी में ही संचालित हो रहा है।
थानाकर्मियों का कहना है कि ओपी की अपनी जमीन नहीं रहने के चलते भरियार में किराए की जमीन पर झोपड़ी बनाकर कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी का निर्वहन करना पड़ता है। चक्की ओपी के भवन तथा बुनियादी सुविधाओं के लिए कई बार आलाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया। लेकिन, आज तक स्थिति यथावत है। आलम यह है कि वर्षो पुरानी झोपड़ी अब जर्जर हो गई है। जहां हर साल पुलिसकर्मी मौसम की मार झेलने को विवश रहते हैं। खासकर, बरसात के दिनों में कीड़े-मकोड़े तथा विषैले जंतुओं का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, शुद्ध पेयजल का भी अभाव है। हैंडपंप के पानी से ही काम चलाना पड़ता है। इस ओपी में न तो मालखाना है, न ही कैदियों को रखने की कोई मुकम्मल व्यवस्था। नतीजतन, किसी अपराधकर्मी के पकड़े जाने पर उसे झोपड़ी में ही रखकर चौबीस घंटे पुलिसवालों को निगरानी करनी पड़ती है।