नथा के रंग से सराबोर हुआ 'सिय-पिय' महोत्सव
बक्सर। नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के तत्वावधान में महर्षि श्रीखाकी बाबा सरका
बक्सर। नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के तत्वावधान में महर्षि श्रीखाकी बाबा सरकार के 46 वें सिय-पिय मिलन महोत्सव का शुभारंभ होते ही आस्था का सैलाब उमड़ने लगा है। पूज्य संत नेहनिधि श्रीनारायणदास जी भक्तमाली 'मामाजी' द्वारा स्थापित श्रीराम-जानकी विवाह वाटिका में इस दिव्य लीला का दीदार करने के लिए देश के कोने-कोने से साधु-संतों व श्रद्धालुओं का आना जारी है। इस क्रम में राज्य समेत राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश के कई नगरों के अलावा काशी, मथुरा व वृंदावन से पूज्य संत श्रीमाली जी के शिष्यों के पहुंचने का सिलसिला जारी हो गया है।
हर साल की तरह यहां आने वाले आगंतुकों के रहने व भोजन के लिए भी उचित प्रबंध किए गए हैं। इसको लेकर आयोजन स्थल के पास ही कई एकड़ क्षेत्र में भोजनशाला बनाया गया है। जबकि उनके आश्रय के लिए बगल में दर्जनों टेंट व रेवटियां लगाई गई हैं। इसके अलावा शहर के अन्य कई जगहों पर भी ठहराने की व्यवस्था की गई है। पेयजल के लिए अस्थायी नलके के साथ सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। प्रशासन द्वारा पुलिस बल की तैनाती भी की गई है, ताकि कहीं से कोई गड़बड़ी नहीं हो सके। महोत्सव के इस आनंद का फायदा उठाने के लिए शहर समेत अन्य जगहों से कई एक व्यवसायी भी पहुंच गए हैं। जिनके द्वारा अस्थायी दुकानें लगाकर धार्मिक पुस्तकें, मिठाई व खाने-पीने के सामान, श्रृंगार प्रसाधन, चरखी व खेल-तमाशे दिखाने के साथ खिलौने व पूजा-पाठ के सामानों की दुकानें सजाई गई हैं। जहां ज्यादतर संख्या में महिलाओं व बच्चों का हुजूम लग रहा है।
इंसर्ट..
अध्यात्मिक आयोजनों के लगे रहे तांता
बक्सर : महोत्सव के दूसरे दिन गुरूवार को तड़के आश्रम परिसर स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर में देवी-देवताओं की विशेष आराधना की गई तथा पूज्य संत श्री नारायणदास जी भक्तमाली 'मामाजी' को नमन किया गया। तत्पश्चात श्री रामचरित मानस का सामूहिक सस्वर नावाह्न परायण पाठ किया गया। मंदिर में अखंड अष्टयाम श्री हरिनाम संकीर्त्तन जारी रहा। दोपहर में वृंदावन से पधारी मंडली के कलाकारों द्वारा रासलीला का मंचन किया गया। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण का भक्त के प्रति अगाध प्रेम को दिखाया गया। इसके बाद मिथिलानियों द्वारा भगवान श्रीराम-जानकी के झांकी के साथ श्रीनारायणदास जी भक्तमाली 'मामाजी' द्वारा रचित व पारंपरिक गीतों का पदगायन कर उन्हें रिझाया गया। जिसके पश्चात ज्ञान गुदरी वृंदावन के सुप्रसिद्ध कथा मर्मज्ञ द्वारा श्रीमदभागवत की मृदुल वाणी से अमृत वचनों की वर्षा की गई।
इन्सर्ट :
'प्रेम के बिन ज्ञान रूखा'का जीवंत हुआ मंचन
बक्सर : महोत्सव के दूसरे दिन दोपहर के वक्त रासलीला में गोपाल भक्त प्रसंग का भव्य मंचन किया गया। जिसमें बताया गया कि भक्त चाहे जितना भी ज्ञापनी हो जब तक उसके हृदय में प्रेम नहीं है तब तक उसे भगवान के स्नेह की प्राप्ति नहीं हो सकती। बताया गया कि भगवान को ज्ञानी भी प्रिय है किन्तु, प्रेम के बिना ज्ञान रूखा है।
गोपाल भक्त प्रसंग की मुल भावना यही है। दिखाया गया कि गोपाल भक्त ज्ञानी नहीं था। वह निश्छल, निश्कपट, सीधा-साधा, गुरू की आज्ञा पालन करने वाला एक गौ चराने वाला ग्वाला है। एक दिन गुरू जी उसे कहते हैं कि गौ चराने जाते हो तो भोजन के वक्त ठाकुर जी को आवाज देकर बुलाओ तो वे आ जायेंगे। क्योंकि, उनका निवास वहीं है। बल्कि, तुम उन्हें प्रसाद ग्रहण कराने के पश्चात ही खुद ग्रहण करना। आगे दिखाया गया कि गोपाल भक्त वैसा ही करता है। इस दरम्यान भक्त के निष्कपट भाव से प्रभावित होकर श्री ठाकुर जी उसे साक्षात दर्शन देते हैं और प्रसाद भी ग्रहण करते हैं। परंतु, गोपाल भक्त भुखा ही रह जाता है। इसे देख, अगले दिन वह ज्यादा प्रसाद ले जाता है और इस प्रकार प्रत्येक दिन प्रसाद बढ़ाने के बावजूद ठाकुर जी के परिकर बढ़ते जाते हैं। और गोपाल भक्त भुखा रह जाता है। हालांकि, अन्तोगत्वा उसे ठाकुर जी की अनुकंपा प्राप्त होती है।