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सहायता राशि को महीनों बाद तरस रहे बाढ़ पीड़ित

महीनों बीतने के बाद भी सरकारी राहत को बाढ़ पीड़ित तरस रहे हैं। सरकारी राहत पाने की उम्मीद लिए यत्र-तत्र भटक रहे हैं। लेकिन, कोई भी उनका दर्द सुनने को तैयार नहीं है। यह हाल है चक्की प्रखण्ड के जवहीं पंचायत के ग्रामीणों का। लोग बताते हैं कि वर्ष 2016 में भयंकर बाढ़ आई थी। पंचायत के अधिकतर गांव बाढ़ की चपेट में थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Nov 2018 04:39 PM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 04:39 PM (IST)
सहायता राशि को महीनों बाद तरस रहे बाढ़ पीड़ित
सहायता राशि को महीनों बाद तरस रहे बाढ़ पीड़ित

बक्सर । महीनों बीतने के बाद भी सरकारी राहत को बाढ़ पीड़ित तरस रहे हैं। सरकारी राहत पाने की उम्मीद लिए यत्र-तत्र भटक रहे हैं। लेकिन, कोई भी उनका दर्द सुनने को तैयार नहीं है। यह हाल है चक्की प्रखण्ड के जवहीं पंचायत के ग्रामीणों का। लोग बताते हैं कि वर्ष 2016 में भयंकर बाढ़ आई थी। पंचायत के अधिकतर गांव बाढ़ की चपेट में थे। ग्रामीणों के घरों में 3 से 4 फीट तक पानी प्रवेश कर गया था। लोग परिवार सहित जान बचाने के लिए गांव छोड़ दिए थे। दर्जनों परिवार यूपी-बिहार के बांध पर शरण लिए हुए थे। प्रशासन द्वारा जीवनयापन की सुविधा भी कमोबेश दी गई थी। जब बाढ़ का पानी कम हुआ, तब ग्रामीणों का जीवन पुन: पटरी पर आ सके, इसके लिए प्रशासन द्वारा पीड़ितों की सूची बनाई गई। जिसमें करीब 400 से अधिक बाढ़ पीड़ितों के नाम शामिल थे। प्रशासन द्वारा कहा गया कि बाढ़ पीड़ितों को सरकार की तरफ से 6-6 हजार रुपये सहायता राशि दी जाएगी। तब पीड़ितों को दो दिनों में सहायता राशि देने की बात कही गई थी। लेकिन, अधिकतर पीड़ितों को आज तक सहायता राशि नहीं मिली। इसकी जानकारी देते हुए पूर्व पंचायत समिति सदस्य सिद्धनाथ चौबे ने बताया कि राहत राशि अभी तक दर्जन से अधिक लाभुकों को नहीं दी गई है। लाभ से वंचित लोग वर्ष 2018 में भी अंचल कार्यालय और सम्बन्धित बैंक के बीच झूल रहे हैं। इस सम्बंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी सुरेंद्र ताती के वयस्त रहने और अंचलाधिकारी नीरज कुमार का मोबाइल बन्द रहने के चलते आधिकारिक राय से वंचित होना पड़ा।

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