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किसानों को नहीं मिल रहा डीजल अनुदान, खेत में सूख रहा धान

समय से वर्षा के अभाव में खेतों में लगी धान की फसल सूखने के कगार पर है। खेतों में बड़े-बड़े दरार फटने शुरू हो गए हैं। ऐसे में फसल को बचाने के लिए किसान पंप सेटों पर निर्भर होकर रह गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 06:02 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 06:33 AM (IST)
किसानों को नहीं मिल रहा डीजल अनुदान, खेत में सूख रहा धान
किसानों को नहीं मिल रहा डीजल अनुदान, खेत में सूख रहा धान

बक्सर । समय से वर्षा के अभाव में खेतों में लगी धान की फसल सूखने के कगार पर है। खेतों में बड़े-बड़े दरार फटने शुरू हो गए हैं। ऐसे में फसल को बचाने के लिए किसान पंप सेटों पर निर्भर होकर रह गए हैं। किसानों की समस्या में सहभागी बनने के लिए सरकार द्वारा डीजल पर अनुदान दिए जाने की घोषणा तो जरूर कर दी गई। पर जिले के किसानों को उसका समय से लाभ नहीं मिल पा रहा है। अनुदान देने के लिए बनाई गई नियमावली के पेच में फंसकर किसान रह गए हैं। अनेक किसानों ने तो नियमों के पेच के कारण आवेदन दिया ही नहीं। जबकि जिन किसानों ने आवेदन दिया है उनमें से हजारों किसानों के आवेदनों पर अब तक स्वीकृति की मुहर ही नहीं लगी। ऐसे में किसानों को फसल बचाने के लिए साहूकारों से ऋण लेकर किसी प्रकार पटवन का काम चलाया जा रहा है। इधर, सदर प्रखंड के बलुआ, बलरामपुर, कृतपुरा, कमरपुर आदि इलाकों में नहर में इस साल पानी आया ही नहीं। जिसकी मदद से धान की खेती को बचाया जा सके। नतीजतन, वर्षा के अभाव में खेतों में जहां चौड़ी-चौड़ी दरारें दिखाई देने लगी हैं। वहीं, खेत में खड़े धान के पौधे अब सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। नियमों की जटिलता आ रही आड़े इस संबंध में राजपुर के किसान अर्जुन राय तथा इटाढ़ी के विनय ओझा ने बताया कि डीजल अनुदान लेने के लिए जितनी कागजी खानापूर्ति करनी पड़ती है उसमें काफी झमेला है। जिसको देखते हुए उन लोगों ने आवेदन देने से बेहतर किसी से कर्ज लेकर काम चला लेना ज्यादा बेहतर समझा। बलरामपुर के रोहित कुमार ने बताया कि मेहनत कर तमाम कागजात एकत्र करने और आवेदन करने के बाद भी इस बात की कोई गारंटी नहीं कि अनुदान मिल ही जाएगा। फिर ऐसे लफड़ा में पड़ने का क्या फायदा। डीजल के लिए साहूकार से ले रहे कर्ज

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गरीब और मध्यम वर्ग के किसानों का कहना है कि जितना लफड़ा करने के बाद वे विभाग में आवेदन देंगे उससे तो ज्यादा बेहतर है कि साहूकार से कर्ज लेकर पटवन का काम चला लिया जाए। बाद में फसल होने पर उसकी भरपाई की जाएगी। बल्कि, उससे भी बेहतर है कि मजदूरी कर प्राप्त धन से खेत का पटवन करा लिया जाए। इस संबंध में बलुआ निवासी सर्वजीत चौबे, विजेंद्र उपाध्याय, शिवकुमार चौबे ने बताया कि उन्हें आवेदन दिए एक माह हो गया। अब तक न तो आवेदन स्वीकृत हुआ और न पैसा मिला। जबकि क्षेत्र के सैकड़ों ऐसे किसान हैं जिनके आवेदन पेंडिग पड़े हैं। दस हजार किसानों के आवेदन पेंडिग

जिला कृषि विभाग में अब तक 12091 किसानों ने डीजल अनुदान के लिए अपना ऑनलाइन आवेदन जमा किया है। जिनमें 1354 किसानों के आवेदन विभाग द्वारा रद्द कर दिए गए हैं। जबकि 9320 आवेदन पेंडिग पड़े हैं। डीएओ की माने तो सर्वर में गड़बड़ी के कारण इतने अधिक आवेदन पेंडिंग पड़े हुए हैं। जो उनके हाथ से बाहर की बात है। इस प्रकार अब तक महज 1237 किसानों के आवेदनों को विभाग द्वारा स्वीकृत किया गया है। बावजूद इसके अब तक उनके खाता में इसकी राशि आनी तो दूर की बात अभी तक आवेदन स्वीकृत भी नहीं किया गया है। जिले से बारह हजार किसानों के डीजल अनुदान के लिए आवेदन आए हैं। जिनमें लगभग 9320 का आवेदन तकनीकी गड़बड़ी के कारण पेंडिग पड़ा हुआ है। खराबी दूर होते ही प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

कृष्णानंद चक्रवर्ती, जिला कृषि पदाधिकारी, बक्सर।


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