हत्या और आर्म्स एक्ट में जेल भेजे गए युवती को जलाकर मारने के आरोपित
ताबिक सभी पर भादवि की धारा 302 201 27 आर्म्स एक्ट एवं 34 एक साथ कई लोगों द्वारा मिलकर घटना को अंजाम देने के मामले में पुलिस ने धारा लगाया है। मां और भाई को पुलिस ने उनके घर से पूर्व में ही गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन पिता महेंद्र प्रसाद फरार चल रहा था। जिसे डुमरांव से पुलिस ने बीते दस दिसम्बर को गिरफ्तार कर लिया और अगले दिन कोर्ट के समक्ष पेश किया।
बक्सर : जिले के इटाढ़ी थाना क्षेत्र के कुकुढ़ा में युवती की हत्या कर जलाने के मामले में पुलिस ने बुधवार को तीनों हत्यारोपितों को गिरफ्तार कर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया। इसमे पिता महेंद्र प्रसाद, मां शर्मिला देवी तथा भाई मुकेश कुमार शामिल हैं। एसीजेएम छह की अदालत ने सभी के ऊपर लगे आरोपों को संगीन मानते हुए उन्हें जेल भेज दिया। घटना दो दिसम्बर की देर रात घटी थी। पुलिस ने तीन दिसम्बर की अल सुबह एक अधजली युवती का शव बरामद किया था।
घटना की पूरे दिन कोर्ट में चर्चा चलती रही। न्यायालय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सभी पर भादवि की धारा 302, 201, 27 आर्म्स एक्ट एवं 34 एक साथ कई लोगों द्वारा मिलकर घटना को अंजाम देने के मामले में पुलिस ने धारा लगाया है। मां और भाई को पुलिस ने उनके घर से पूर्व में ही गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन, पिता महेंद्र प्रसाद फरार चल रहा था। जिसे डुमरांव से पुलिस ने दस दिसम्बर को गिरफ्तार कर लिया और अगले दिन कोर्ट के समक्ष पेश किया। बता दें कि युवती को उसके अपने पिता और भाई ने ही कुकुढ़ा गांव के बधार में ले जाकर हत्या कर दी थी। साक्ष्य छिपाने के लिए वहां मौजूद पुआल का ढेर युवती के शव पर डालने के बाद बाइक से पेट्रोल निकालकर उसे जला दिया। इस मामले के उदभेदन में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। बेटी की हत्या का पिता को जरा भी मलाल नहीं
कुकुढ़ा हत्याकांड.,
- गिरफ्तारी के बाद शांत चित्त हो पुलिस को दिया बयान
- पिता बोला-आजिज आ चुका था बेटी की करनी से
जागरण संवाददाता, बक्सर : जिस संतान को व्यक्ति पाल पोस कर बड़ा करता है उसे तनिक भी कोई तकलीफ होने पर माता-पिता का कलेजा फट पड़ता है। पर, कुकुढ़ा हत्या कांड में बेटी की हत्या करते समय भी एक पिता का कलेजा तनिक भी नहीं कांपा। एक ही झटके में नाजों से पाल पोसकर बड़ा करने के बाद अपने ही पुत्री की गोली मारकर हत्या कर दी।
पुलिस गिरफ्त में आने के बाद जिन पुलिस अधिकारियों ने उससे पूछताछ की उनका भी पिता की मनोस्थिति को जानकर कलेजा दहल उठा। यह बात सही है कि बेटी के इश्क के जुनून को देखते हुए आजिज आकर उसने बेटी की हत्या कर दी। पर घटना के एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी पिता के अंदर कोई पश्चाताप की भावना नहीं पनप सकी थी। पिता ने अपने बयान में बताया कि बेटी के कारण उसकी प्रतिष्ठा का हर रोज हनन हो रहा था। पूरे गांव में लोग थू-थू कर रहे थे, आलम यह था कि गांव के लोगों की निगाहों का सामना कर पाना उसके लिए कठिन हो गया था। इसके लिए पिता महेंद्र प्रसाद ने बेटी को समझाने का हर संभव प्रयास किया। पर, उसकी तमाम कोशिशें विफल होने के बाद यह कदम उठाने पर विवश होना पड़ा। हत्या का कदम उठाने से पहले उसने काफी आत्ममंथन किया। इसके लिए उसने अपनी पत्नी और बेटे से इसकी चर्चा करते हुए उन्हें इसके लिए तैयार किया। इसके बाद योजना की रूपरेखा तैयार करने की बारी आई तब उसे लगा कि बगैर किसी की मदद लिए इस घटना को अंजाम देना नामुमकिन है। शादी के बाद कई बार घर से चली गई थी इंदू
इस संबंध में स्थानीय लोगों से बातचीत के बाद पता चला कि मृतक इंदू के प्रेम प्रसंग के कारण शादी टूट जाने के बाद वह घर पर ही रहने लगी थी। इधर, प्रेमी के भी साथ छोड़ देने के बाद उसकी संगत कुछ खराब हो गई थी। जिसको लेकर इंदू विगत एक वर्ष के अंदर कई बार घर से कुछ दिनों के लिए अचानक गायब हो चुकी थी। हालांकि, अधिकतम छह से आठ दिन के अंदर हर बार वह वापस आ जाती थी। यह बात पिता के साथ-साथ गांव वालों को भी बेहद नागवार लगती थी। इसके लिए इंदू को समझाते-समझाते पिता महेंद्र प्रसाद समेत मां शर्मिला देवी ओर भाई मुकेश कुमार थक चुके थे। बावजूद इसके उसकी आदतों में कोई सुधार नहीं हो रहा था। घटना से चंद रोज पहले उसने फिर घर से कहीं जाने का प्लान बनाया था। जिसकी जानकारी हो जाने के बाद घरवालों ने किसी प्रकार उसे रोक लिया। ऐसे में पानी को सिर से ऊपर जाते देख पिता को किसी कठोर निर्णय पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ गया। हत्या के बाद महेंद्र को पकड़े जाने की नहीं थी उम्मीद
पुलिस की पूछताछ में यह स्पष्ट हुआ कि इंदू की हत्या के बाद पूरा परिवार आश्वस्त था कि जिस प्रकार सुनियोजित तरीके से उन लोगों ने घटना को अंजाम दिया है पुलिस कभी उन तक नहीं पहुंच सकती। इस बीच यदि कोई पूछेगा भी तो बता देंगे कि खुद से कहीं चली गई है। चूंकि, उसके अचानक निकलकर चले जाने की आदत से पूरा गांव वाकिफ था। फिर कुछ दिनों के बाद बात अई-गई हो जाएगी। इसी सोच के साथ पिता महेंद्र हत्या के बाद भी लगातार बैंक ड्यूटी करने जाता रहा। पर, पुलिस ने जिस प्रकार इस घटना को चुनौती मानते हुए इसकी छानबीन शुरू की उसमें सारा कुछ उजागर हो गया। इस बीच जैसे ही पुलिस ने महेंद्र की पत्नी और पुत्र को पूछताछ के लिए उठाया कि वो अंडर ग्राउंड हो गया। बावजूद इसके पुलिस ने आखिरकार उसे भी सलाखों के पीछे पहुंचाकर ही दम लिया। हालांकि, अभी भी वारदात में शामिल तीन लोगों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार छापेमारी करने में लगी है।