आज बनाइए, खाइए और खिलाइए पिट्ठा, आज है पिट्ठा दिवस
बक्सर हम चॉकलेट दिवस आइसक्रीम दिवस केक दिवस मना उनकी ब्रांडिग कर सकते हैं तो फिर
बक्सर : हम चॉकलेट दिवस, आइसक्रीम दिवस, केक दिवस मना उनकी ब्रांडिग कर सकते हैं तो फिर अपने पारंपरिक पकवानों के लिए भी खास दिन निर्धारित कर उनकी ब्रांडिग क्यों नहीं कर सकते। अभी पूस का मौका भी है और दस्तूर भी, पूस माह का दूसरा दिन अपना पारंपरिक पकवान पिट्ठा को समर्पित है। आज गुरुवार को पूस का दूसरा दिन है और आज पिट्ठा दिवस पर चावल के बने इस स्वादिष्ट पकवान को बनाइए, खाइए और अपनों को खिलाइए भी।
पीट्ठा का स्वाद लजीज और इसकी तासीर भी गर्म होती है। साहित्यकार डॉ.ओमप्रकाश केसरी, आचार्य मुक्तेश्वरनाथ शास्त्री व रजनीकांत पांडेय ने बताया कि भोजपुरी भाषी इसे गोझा, उलटा, फाड़ा आदि विभिन्न नामों से जानते है। पौष्टिकता से भरपूर इस व्यंजन की धार्मिक मान्यता भी है। यही कारण है कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया (गोवर्धन पूजा) को घर-घर में भोज्य पदार्थ पीट्ठा और दूध में गुड़ डालकर खीर बनाकर खाने की पारंपरिक रीति है, जो आज भी कायम है। इस खीर को भोजपुरी में जाऊर भी कहते है।
इस बाबत पांडेयपट्टी की चंद्रप्रभा देवी ने बताया कि चावल के आटे को गरम पानी से गुथ कर चना दाल में स्वादानुसार मसाला भूनकर भरा जाता है। कई लोग आलू, तिसी, पोस्ता, नारियल आदि का बुरादा भी भरते है। इसकी तासीर गर्म होने की वजह से पौष माह में प्राय: लोगों के घरों में यह व्यंजन पकता है। चरित्रवन की पूनम तिवारी, वीर कुंवर सिंह कॉलोनी की विमला देवी, डीएम आवास के नजदीक रहने वाली कांति पांडे आदि ने कहा कि पुरातन धर्म में कई भोज्य पदार्थों को विशेष उत्सव में बनाकर खाने की परम्परा अपने यहां पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि लिट्टी-चोखा की तरह किसी दिवस पर खाने की मान्यता इन भोज्य पदार्थो को नहीं दी गई है। जबकि, स्वजनों को इसका स्वाद इतना अधिक भाता है कि कई लोग इसे एक दिन का बनाया हुआ तीन दिनों तक खाते हैं। सेवन की विधि को लेकर महिलाओं ने बताया कि इसे अगले दिन सरसों के तेल में भूनकर सपरिवार नाश्ते के रूप में भी शौक से सेवन किया जाता है।