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खरना संपन्न : 36 घंटे का महाव्रत शुरू, अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अ‌र्घ्य आज

बक्सर सूर्योपासना महापर्व छठ अनुष्ठान के दूसरे दिन गुरुवार को खरना का व्रत संपन्न हुआ। इस दौरान व्रती महिलाओं ने शाम को विधि-विधान के साथ गुड़ चावल व दूध मिश्रित खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर खुद पारण की तथा एक-दूसरे को खिलाकर खरना की परंपरा को पूरा किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 12:00 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 12:00 AM (IST)
खरना संपन्न : 36 घंटे का महाव्रत शुरू, अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अ‌र्घ्य आज
खरना संपन्न : 36 घंटे का महाव्रत शुरू, अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अ‌र्घ्य आज

बक्सर : सूर्योपासना महापर्व छठ अनुष्ठान के दूसरे दिन गुरुवार को खरना का व्रत संपन्न हुआ। इस दौरान व्रती महिलाओं ने शाम को विधि-विधान के साथ गुड़, चावल व दूध मिश्रित खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर खुद पारण की तथा एक-दूसरे को खिलाकर खरना की परंपरा को पूरा किया। वहीं, खरना पूजा सम्पन्न होने के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया है।

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जाहिर है कि नहाय-खाय के साथ लोक आस्था के चार दिवसीय पर्व छठ पूजा का अनुष्ठान बुधवार से प्रारंभ है। आज दूसरे दिन शुक्रवार को व्रतियों ने खरना पूजा संपन्न किया। मधुलिका व तारा शर्मा बताती हैं कि पर्व में शुद्धता का ख्याल विशेष रूप से रखा जाता है। इस दौरान खरना के प्रसाद में नमक व चीनी दोनों का प्रयोग वर्जित है। इस कारण खीर में गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है। दूसरी ओर प्रेमा सिंह ने बताया कि उन्होंने चावल का पिट्ठा और घी लगी रोटी का भी प्रसाद बनाया था। इस दौरान घर की एकत्रित महिलाएं सामूहिक रूप से छठी मईया की पारंपरिक गीत गुनगुना रही थीं। जिससे पूरा वातावरण छठमय हो गया है। बताते चलें कि शुक्रवार की शाम अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को प्रथम अ‌र्घ्य भक्तजन अर्पित करेंगे। इसके बाद शनिवार की सुबह अरुणोदयकाल में उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्यदान के पश्चात पारण कर व्रत का समापन किया जाएगा। इस बाबत आचार्य अमरेन्द्र कुमार मिश्र ने बताया कि शुक्ल यजुर्वेद में अ‌र्घ्यदान को सूर्यास्त एवं सूर्योदय से पूर्व अर्पित करने को उत्तम बताया गया है। इधर, त्योहार को ले छठी मइया की पारंपरिक धुनों में गाई जा रही गीतों के चलते शहर लगायत गांवों तक सर्वत्र माहौल पूरी तरह से भक्तिमय हो गया है। - छठ पूजा का महत्व छठी मईया को सूर्य की बहन माना गया है। हालांकि, एक कथा के अनुसार छठ देवी को ईश्वर की पुत्री देवसेना माना गया है। देवसेना के बारे में बताते हुए कई स्थान पर उन्हीं के हवाले से कहा गया है कि वह प्रकृति की मूल प्रवृति के छठवें अंश से उत्पन्न हुई हैं। यही कारण है कि वे षष्टी कहलाईं। मान्यता है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्टी को उनकी विधिविधान से पूजा व आराधना करने से संतान सुख के साथ-साथ हर मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है।

इंसर्ट : अ‌र्घ्य-दान का उत्तम मुहूर्त शुक्रवार : सूर्यास्त का समय- संध्या 5 : 21 बजे

अस्ताचलगामी अ‌र्घ्य : संध्या 5 से 5 : 30 तक,

शनिवार : अरुणोदय समय- प्रात: 6 : 39 बजे

उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्यदान : प्रात: 6 से 7 : 00 बजे तक।


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