औद्योगिक क्षेत्र के पुनर्जीवन में बाधक बन रही सुरक्षा व प्रक्रिया की जटिलता
बक्सर। औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों के पोषित-पल्लवित ना होने के पीछे अनेक कारण हैं जिनमें से एक मुख्य प्रक्रिया की जटिलता है। इसी कारण उद्योग स्थापित होने से पहले ही अधर में लटक जाते हैं।
बक्सर। औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों के पोषित-पल्लवित ना होने के पीछे अनेक कारण हैं, जिनमें से एक यहां सुरक्षा का अभाव है। दूसरा जो उद्योग नहीं चल रहे हैं, उनकी जमीनों को दूसरे को हस्तांतरित किए जाने में भी कई तरह के पेच हैं। ऐसे में जो लोग यहां उद्योग चला रहे हैं वह हमेशा असुरक्षा की भावना से घिरे रहते हैं और जो यहां उद्योग खोलना चाहते हैं उन्हें जमीन नहीं मिल पाती।
आए दिन औद्योगिक क्षेत्र में लगे इकाइयों में चोरी की बातें सामने आती रहती हैं। चारों तरफ की चारदीवारी कई जगहों से टूटी है। ऐसे में यहां उद्योगपति असुरक्षा की भावना से घिरे रहते हैं। औद्योगिक थाने में ही हर महीने तकरीबन तीन-चार एफआइआर होती हैं, जिनमें औद्योगिक क्षेत्र में चोरी की बात उल्लिखित होती है। हाल ही में पूर्वाचल ऊर्जा नामक यूनिट से लोहा चोरी हो गया था जिसकी शिकायत दर्ज कराई गई है। रात में पसरा रहता अंधेरा, असामाजिक तत्वों का जमावड़ा :
स्थानीय लोगों के अनुसार, औद्योगिक क्षेत्र असुरक्षित हो गया है। यहां स्ट्रीट लाइट आदि नहीं होने के कारण रात में अंधेरा पसरा रहता है। चारदीवारी नहीं होने के कारण असामाजिक तत्वों का भी यहां जमावड़ा लगा रहता है। ऐसे में चोरी होना लाजिमी है। खास बात यह है कि बियाडा अथवा स्थानीय प्रशासन द्वारा भी इस संदर्भ में गार्ड आदि की भी कोई व्यवस्था नहीं की जाती, जिससे कि यहां उद्योग चला रहे लोगों के बीच रोष है। बाउंड्री को तोड़कर बना लिया अवैध रास्ता :
बताया जा रहा है कि यहां औद्योगिक क्षेत्र के बगल में बसी मारुति नगर कालोनी में आवागमन के लिए कई जगहों से औद्योगिक क्षेत्र की बाउंड्री को तोड़ दिया गया है और अवैध रास्ते का निर्माण कर लिया गया है। इतना ही नहीं यहां रहने वाले लोगों ने अपने रसूख के कारण मनरेगा तथा अन्य योजनाओं से सड़क निर्माण भी करा लिया है। ऐसे में औद्योगिक इकाइयों में बेरोकटोक लोगों का आवागमन जारी रहता है। खंडहर में तब्दील हो गई हैं बंद पड़ी कई यूनिटें :
स्थानीय लोगों से पूछताछ करने पर यह ज्ञात हुआ की बियाडा द्वारा 124 लोगों को यहां पर उद्योग खोलने के लिए भूखंड आवंटित किया गया है, जिनमें से 40-45 लोग उद्योग अभी भी चला रहे हैं लेकिन, 50 से ज्यादा यूनिट बंद हैं वहीं, 20-25 यूनिट के संचालकों से कानूनी लड़ाई के कारण भी उद्योग नहीं चल रहे हैं। कभी यहां 3.5 एकड़ में फैले भूखंड पर स्थापित पेपर मिल के बंद हो जाने के बाद उसकी जमीन एसके सिंह नामक एक व्यक्ति को दी गई, जिन्होंने पूर्वांचल ऊर्जा नामक बॉयलर प्वाइंट खोला लेकिन बाद में यह यूनिट बंद हो गई और खंडहर में तब्दील हो गई हैं। बंद यूनिटों को कैंसिल करने पर न्यायालय में गए संचालक :
कई यूनिट विभिन्न कारणों से बंद हो गई। कई यूनिटों का संचालन नहीं होने के कारण बियाडा द्वारा उन्हें कैंसिल किया गया लेकिन, जिन यूनिटों को कैंसिल किया गया। उनके संचालक इस मामले को लेकर न्यायालय में चले गए। अब मामला न्यायालय में लंबित होने के कारण वह यूनिट दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित भी नहीं हो पा रहे। बक्सर के मूल निवासी और महाराष्ट्र में एलईडी बल्ब निर्माण कंपनी चला रहे गौरव कुमार बताते हैं कि, उनकी इच्छा थी कि अपने ही शहर में औद्योगिक क्षेत्र में एक प्लास्टिक पाइप फैक्ट्री खोली जाए, जिसके लिए उन्हें 10 ह•ार स्क्वायर ़फीट जमीन की आवश्यकता थी लेकिन, उन्हें बियाडा से जमीन उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। आखिरकार, उन्होंने यहां उद्योग लगाने का मन बदल दिया। हस्तांतरण की जटिल प्रक्रिया भी बन रही नए उद्योगों की स्थापना में बाधक
जो यूनिट संचालित नहीं हो रही हैं, उन्हें दूसरे किसी व्यक्ति को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया भी काफी जटिल है। बताया जा रहा है कि यहां जो भी भूखंड किसी को आवंटित हैं वह दूसरे को हस्तांतरित करने के लिए प्रति 3 कट्ठे पर तकरीबन 4 लाख रुपये का हस्तांतरण शुल्क चुकाना पड़ता है। इतना ही नहीं यदि किसी व्यक्ति के द्वारा 90 साल के लिए लीज पर लिए गए अपने प्लॉट को किसी दूसरे को हस्तांतरित किया जाए तो 90 साल में से बाकी बचे समय अवधि के लिए ही वह यूनिट दूसरे व्यक्ति को दिया जा सकता है। ऐसे में ज्यादा खर्च तथा कम अवधि के लिए भूखंड का आवंटन होने से कम ही लोग भूखंड को अपने नाम हस्तांतरित कराने को इच्छुक हो पाते हैं।