मुंडन संस्कार और एकादशी स्नान की साक्षी बनी गंगा मइया
बक्सर कोरोना को लेकर धार्मिक स्थलों पर लगी रोक के बावजूद शुक्रवार को मुंडन संस्कार क
बक्सर : कोरोना को लेकर धार्मिक स्थलों पर लगी रोक के बावजूद शुक्रवार को मुंडन संस्कार को लेकर गंगा के तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालु अपने वाहनों को किला मैदान में खड़े किए हुए थे। इन वाहनों से किला मैदान ठसाठस भरा हुआ था। गंगा के तट पर शाहाबाद परिक्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले सभी जिले समेत उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती जनपद बलिया, गाजीपुर, मऊ आदि स्थानों से भी श्रद्धालु गंगा तट पर पहुंचे। कर्मकांडियों का कहना है कि मुंडन संस्कार की रस्म अदायगी से बच्चों का जीवन सुखमय एवं दीर्घायु होता है और हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण सोलह संस्कारों में यह आठवां है। इसी निर्वहन को पौराणिक स्थल रामरेखाघाट पर शुक्रवार को सैकड़ों संख्या में आस्थावानों की भीड़ उमड़ी हुई थी। घाट के पंडितों ने कहा कि ऋषि-महर्षियों की तपोस्थली और गंगा की धारा उत्तरायणी होने से इस स्थल का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस कारण कई जिला क्षेत्रों से लोगों का यहां आगमन होते रहा है। उनका कहना था कि संतान की सलामती के लिए मुंडन संस्कार और संतान सुख पाने के लिए षटतिला एकादशी स्नान का धर्म शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। इन दोनों ही कारणों से आज भीड़ अधिक जुटी हुई है। भीड़ ज्यादा होने से किला मैदान के रास्ते गंगा तट तक आने-जाने वाले लोगों का रेला लगा हुआ था। श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से की पूजा
प्रसिद्ध रामरेखाघाट के गंगातट पर शुक्रवार को विभिन्न क्षेत्रों से उमड़े श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इस दौरान घाट के पंडितों ने जहां बच्चों का मुंडन कराकर उन्हें स्नान कराया, वहीं, गंगा मइया का वैदिक तरीके से मंत्रोच्चार कर पूजन कराया। इसके उपरांत परिजन नाव के सहारे गंगा के उस पार गए। नाविकों एवं घाट के पंडितों की रही चांदी
मुंडन संस्कार पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ में रामरेखाघाट पर रहने वाले पंडितों व नाविकों की चांदी रही। नाविकों द्वारा इसके लिए 1500 रुपये लिए जा रहे थे। वहीं नाइयों के लिए तो जरूरतमंदों को दो-दो घंटे इंतजार भी करना पड़ रहा था। भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने से आसपास के व्यवसायिक दुकानदारों की भी आमदनी बढ़ गई।