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घर की सफाई और हुनर की बदौलत कचरे से कमाई

शहरों की शक्ल में बदलते कस्बाई इलाकों में भी कचरा प्रबंधन बड़ी समस्या बनकर उभरा है। ऐसे समय में बक्सर के ब्रह्मपुर प्रखंड की महिलाएं समाज के लिए नजीर बनकर सामने आई हैं। प्रखंड के भदवर गांव की मंजू देवी के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाएं मंजू देवी के नेतृत्व में अनुपयोगी सामानों से सजावट का सामान तैयार करती हैं और उन्हें बाजार में बेचतीं हैं। सजावट के सामान बेच कर महिलाएं प्रति माह चार से पांच हजार रुपये तक कमा लेती हैं। वे कचरा प्रबंधन के गुर सिखाने के साथ ही लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के प्रति सचेत भी कर रहीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 05:48 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 05:48 PM (IST)
घर की सफाई और हुनर की बदौलत कचरे से कमाई
घर की सफाई और हुनर की बदौलत कचरे से कमाई

बक्सर : शहरों की शक्ल में बदलते कस्बाई इलाकों में भी कचरा प्रबंधन बड़ी समस्या बनकर उभरा है। ऐसे समय में बक्सर के ब्रह्मापुर प्रखंड की महिलाएं समाज के लिए नजीर बनकर सामने आई हैं। प्रखंड के भदवर गांव की मंजू देवी के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाएं मंजू देवी के नेतृत्व में अनुपयोगी सामानों से सजावट का सामान तैयार करती हैं और उन्हें बाजार में बेचतीं हैं। सजावट के सामान बेच कर महिलाएं प्रति माह चार से पांच हजार रुपये तक कमा लेती हैं। वे कचरा प्रबंधन के गुर सिखाने के साथ ही लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के प्रति सचेत भी कर रहीं हैं।

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कचरा से सजावट का सामान बनाने का काम सबसे पहले मंजू ने चार साल पहले प्रारंभ किया। तब वे वीर कुंवर सिंह महिला ग्राम संगठन की सचिव के रूप में कार्य कर रहीं थीं। सजावटी सामान की मांग बढ़ने पर वे वर्ष 2017 में प्रगति जीविका संकुल स्तरीय संघ से जुड़ी महिलाओं को इसके लिए प्रशिक्षित करना शुरू किया। अभी वे इस संघ की सचिव हैं और आधा दर्जन से ज्यादा महिलाएं कचरा प्रबंधन के कार्य में जुड़ी हुई हैं। मंजू बताती हैं कि खाली समय में अनुपयोगी सामानों के इस्तेमाल से सजावट का सामान तैयार कर उसे बेचने से पैसे भी मिल जाते हैं और धरती भी कचरे के नुकसान से बच जाती है। सजावट के सामान बनाने के लिए महिलाएं अनुपयोगी प्लास्टिक के बोतल, एक्स-रे प्लेट, ऊन और धागे के टुकड़ों का इस्तेमाल करती हैं।

हर माह कचरा प्रबंधन से कमाती हैं हजारों रुपये

मंजू समूह से जुड़ीं सदस्यों को सिलाई- कटाई के साथ ही घर और बाहर पड़े बेकार के सामानों से सजावट के सामान बनाना सिखाती हैं। मसलन, डिस्पोजल ग्लास से झूमर और गुलदस्ता, पुराने बोरे तथा उन के टुकड़ों से खूबसूरत कालीन, प्लास्टिक के अनुपयोगी बोरो से टोकरी इत्यादि। मंजू बताती हैं कि ब्रह्मापुर के ब्रह्मोश्वरधाम मंदिर में हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है और उनलोगों के लिए यहां बाजार उपलब्ध हो जाता है। उन्होंने बताया कि वे और उनके साथ जुड़ी महिलाएं इससे प्रतिमाह 4-5 हजार रुपये तक कमाई कर घर में बड़ा आर्थिक योगदान देतीं हैं। उनके द्वारा बनाई गई टोकरी जहां 50 से 250 मे बिकती है। वहीं, सजावटी गुलदस्ता अथवा झूमर आदि 50 रुपये से 500 रुपये तक में बिकते हैं।

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भदवर में महिलाओं का अभिनव प्रयास देख जीविका ने उन्हें बड़े समूह से जोड़ा है। इन महिलाओं ने कचरा प्रबंधन में कमाई का जरिया तलाशा है और अब वे लोग इस मॉडल को जिले के अन्य गांवों में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।

रौशन कुमार, जिला प्रबंधक, जीविका, बक्सर।


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