उर्वरक को लेकर मची हाय-तौबा पर डीएम ने बुलाई बैठक
बक्सर जिले में उर्वरक को लेकर मची हाय-तौबा के बीच जिलाधिकारी अमन समीर ने मंगलवार को जि
बक्सर : जिले में उर्वरक को लेकर मची हाय-तौबा के बीच जिलाधिकारी अमन समीर ने मंगलवार को जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक की। इस दौरान सर्वप्रथम उन्होंने उर्वरक की उपलब्धता की जानकारी ली। जिला कृषि पदाधिकारी ने 180 मैट्रिक टन उर्वरक के जिले में उपलब्ध होने की जानकारी दी। इस पर जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया कि उर्वरक की कालाबाजारी रोकने के लिए किसानों से पंजीयन संख्या के साथ-साथ आधार कार्ड भी आवश्यक रूप से प्राप्त करें।
बैठक में डीएम ने डीएओ को निर्देश दिया कि सभी प्रखंडों में जहां उर्वरक का वितरण होता है, उर्वरक के स्टाक के संबंध में सुबह नौ बजे तक सूचना पट पर स्टाक की विवरणी चस्पाना सुनिश्चित करें। उन्होंने सभी प्रखंडों में उर्वरक की कालाबाजारी रोकने के लिए धावा दल द्वारा रैंडम जांच कराने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जिनको उर्वरक के अधिक बैग की आवश्यकता है, वैसे किसान प्रखंड कृषि पदाधिकारी को साक्ष्य के साथ आवेदन दें। बैठक में डीएओ मनोज कुमार ने बताया कि जिले में 10000 लीटर नैनो यूरिया उपलब्ध है, जिस पर डीएम ने उर्वरक वितरण की सुचारू व्यवस्था के लिए रिटेलर के साथ बैठक करने के लिए निर्देश दिया। बैठक में जिला पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि जिले में 21 मवेशी अस्पताल हैं, जिनमें एक महीने में लगभग 150 मवेशियों का इलाज किया जाता हैं।
यूरिया की कालाबाजारी से किसान परेशान, जांच के नाम पर खानापूर्ति
संवाद सहयोगी, राजपुर (बक्सर) : प्रखंड के विभिन्न गांवों में खेती करने वाले किसान इन दिनों यूरिया खाद के लिए चक्कर लगा रहे हैं। क्षेत्र के तियरा, राजपुर, भलुहा, बन्नी, सगरांव सहित अन्य बाजारों में पहुंचकर खाद की खरीद कर रहे हैं। किसानों को मिलने वाला खाद 350 से 450 रुपये प्रति बोरी मिल रहा है जबकि, सरकारी मूल्य पर इसकी कीमत महज 266 रुपये है। किसान प्रतिदिन इसकी शिकायत संबंधित क्षेत्र के कृषि सलाहकार एवं कृषि समन्वयक के पास कर रहे हैं। बावजूद इस पर कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है।
किसानों की शिकायत पर इन सभी बाजारों में अधिकारी अपनी पूरी टीम के साथ पहुंचकर जांच के नाम पर खानापूर्ति कर रहे हैं। दुकानदारों से विक्रय पंजी की मांग कर जांच करते हैं। जिस पंजी पर खाद वितरण का मूल्य 266 रुपये ही रहता है। दुकानदारों की तरफ से उन्हें संतुष्टि मिल जाती है। जांच भी ऐसे समय पर की जाती है, जब दुकान पर कोई खाद के लिए ग्राहक मौजूद ना हो। दूसरी तरफ जब किसान खाद की खरीद करने जाते हैं, उस समय कुछ घंटे के लिए काफी भीड़ होती है। उस दौरान किसानों से दुकानदार मनमानी रकम की वसूली कर चले जाते हैं। खाद की कालाबाजारी की चर्चा होने पर लाइसेंसधारी दुकानदार भी दबी जुबान से यह बात कहते हैं कि खाद की खेप आते ही वरीय अधिकारियों को कमीशन देना पड़ता है। गाड़ी भाड़ा की कीमत अधिक हो जाती है। सरकारी दर पर खाद बेचना मुश्किल हो जाता है। किसानों की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई। तियरा के किसान मुनि चौबे, बृजमोहन राय, अनीश कुमार राय, राजेश राय, मनोज कुमार त्रिगुण, उमेश यादव, तेजनारायण पाण्डेय आदि ने बताया कि अगर खाद की खेप सही समय पर आए तो किसानों को परेशानी नहीं होगी। इस पर किसी अधिकारी का ध्यान नहीं है।