कोरोना से नहीं लिया पंगा, आंगन को बना लिया गंगा
बक्सर सिविल लाइन मोहल्ले का यह परिवार कृत्रिम तालाब तैयार करने की कवायद में गुरुवार को पूरी तनमयता से लगा हुआ था। जबकि घर से मात्र पचास गज की दूरी पर ही पवित्र गंगा प्रवाह हो रही है। परंतु परिवार का मानना है कि कोराना से कौन ले पंगा मन चंगा तो कठौती में ही गंगा।
बक्सर : सिविल लाइन मोहल्ले का यह परिवार कृत्रिम तालाब तैयार करने की कवायद में गुरुवार को पूरी तनमयता से लगा हुआ था। जबकि, घर से मात्र पचास गज की दूरी पर ही पवित्र गंगा प्रवाह हो रही है। परंतु, परिवार का मानना है कि कोराना से कौन ले पंगा, मन चंगा तो कठौती में ही गंगा।
पेशे से शिक्षिका मधुलिका और उनके पति अरविद श्रीवास्तव का कहना है कि विगत 25 साल से वे छठ पूजा कर रहे हैं। प्रत्येक वर्ष सूर्योपासना पर्व में गंगा घाट पर पहुंचकर ही भगवान भास्कर को अर्घ्य दान किए हैं। परंतु, पहली बार घर में ही कृत्रिम तालाब बनाकर दोनों समय सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। ऐसा भी नहीं है कि परिवार का कोई सदस्य किसी प्रकार से अस्वस्थ है। उनका मानना है कि देश की धर्मिता पहला धर्म है और ईश्वर की आराधना शुद्ध व सात्विक मन से कहीं भी साफ सुथरे स्थल पर की जा सकती है। आज पूरा विश्व कोरोना वायरस से लड़ रहा है। जब तक की बचाव के टीके उपलब्ध नहीं हो जाते, खुद के साथ-साथ औरों को सुरक्षित तभी रखा जा सकता है जब दो गज की दूरी व मास्क प्रयोग का अनुपालन तरीके से हो। परंतु, छठ पूजा में यह घाटों पर सम्भव होते नहीं प्रतीत हो रहा है। इस कारण उन्होंने यह निर्णय लिया है कि इस बार घर पर ही कृत्रिम तालाब की खुदाई कर छठी मईया की पूजा व अस्ताचलगामी व अरुणोदय दोनों ही अवस्था में भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करेंगे।