देवोत्थान एकादशी : गंगा स्नान कर किया श्रीहरि का ध्यान
बक्सर संसार के पालन करता भगवान विष्णु ने सृष्टि के नियमानुसार अपनी योगनिद्रा कार्तिक शुक्ल ए
बक्सर : संसार के पालन करता भगवान विष्णु ने सृष्टि के नियमानुसार अपनी योगनिद्रा कार्तिक शुक्ल एकादशी दिन बुधवार को त्याग दी। आचार्यों ने कहा कि प्रभु के इस जागरण के साथ चातुर्मास का समापन हो गया और इस बार अधिकमास होने के कारण पिछले पांच माह से ठप मांगलिक कार्य तिथि के योगानुसार आज से प्रारंभ हो गए।
स्नान ध्यान को लेकर बुधवार की सुबह से ही स्नानार्थियों कि भीड़ गंगा तटों पर उमड़नी शुरू हो गई थी। वैसे तो स्नानार्थी यहां के सभी घाटों पर मौजूद थे। लेकिन, सबसे अधिक भीड़ प्रसिद्ध रामरेखा घाट पर श्रद्धालुओं की उमड़ी हुई थी। जहां, श्रद्धालु महिलाओं ने स्नान किया और श्रीहरि का ध्यान किया। दरअसल हिदू धर्म में देवउठनी एकादशी व तुलसी विवाह कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। जिसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसे लेकर गंगा स्नान को श्रद्धालुओं का तांता बुधवार को विभिन्न घाटों पर लगा हुआ था। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाई और उसके बाद घाटों पर स्थित देवालयों में विधिवत पूजा-अर्चना की तथा दीये जलाए और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया। इस बाबत पंडित अमरेंद्र कुमार शास्त्री का कहना है कि आज से सारे मांगलिक कार्य जैसे कि विवाह, नामकरण, मुंडन, जनेऊ, गृहप्रवेश आदि के कार्य तिथि योगानुसार प्रारंभ हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस दिन तुलसी विवाह का भी महत्व है। इससे शादीशुदा जीवन तो सुखमय रहता ही है। वहीं, कन्या सुख भी प्राप्त होता है। इसमें तुलसी जी का विवाह भगवान विष्णु के रूप में शालिग्राम के साथ सम्पन्न होता है। इस दौरान तुलसी जी के पौधे को चुनरी आदि डालकर सजाया जाता है। एक नजर वैवाहिक शुभ लग्न पर
उत्तम लग्न - 30 नवम्बर व 1, 8 और 11 दिसम्बर को
मध्यम लग्न - 26 व 29 नवंबर तथा 9, 13 व 15 दिसंबर
दिवा लग्न मुहुर्त - 2 व 7 दिसंबर को