बारिश और बाढ़ के बाद पशुओं को बीमारी से बचाने में जुटा विभाग
बक्सर कृषि विज्ञान केंद्र बक्सर के सौजन्य से मंगलवार को इटाढ़ी के कुकुढ़ा गांव में पशु स्व
बक्सर : कृषि विज्ञान केंद्र बक्सर के सौजन्य से मंगलवार को इटाढ़ी के कुकुढ़ा गांव में पशु स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के दौरान पटना केविके से आए विशेषज्ञ चिकित्सकों ने पशुपालकों को मवेशियों के विभिन्न् बिमारियों तथा उनसे बचाव के उपायों की विस्तृत जानकारी दी वहीं पशुपालकों को पशुओं के चारा प्रबंधन के साथ ही सरकार की याजनाओं की जानकारी दी गई।
इस अवसर पर पटना के वैज्ञानिकि डॉ. प्रदीप रे ने बताया कि आमतौर पर वर्षात का मौसम तथा बाढ़ के बाद मवेशियों में गला-घोंटू, खुरपका, मुंहपका, थनैली तथा पाचन संबंधी बिमारियों से प्रभावित होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसकी वजह से दुग्ध उत्पादन के साथ ही मवेशियों का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। चुकी कोई भी पशु स्वयं इसके बारे में बता नहीं सकता, लिहाजा पशुपालकों को इन बिमारियों की पहचान के लिए सजग रहना जरूरी है। इससे बचाव के लिए पशुओं को कृमि नाशक दवा फेमेन्डाजोल की मात्रा दी जा सकती है। वयस्क पशुओं के लिए तीन ग्राम तथा छोटे पशुओं को उनके शरीर के वजन के अनुसार दवा की मात्रा गुड़ या रोटी के साथ मिलाकर दिया जाना चाहिए। मौके पर मौजूद वैज्ञानिक डॉ. ज्योति ने किसानों को मौसम के बढ़ते तापमान और आर्द्रता के बीच पशुओं को बाह्य कृमि से बचाव के उपाय बताते हुए टैक्टिट नामक दवा की दो एमएल मात्रा पानी के साथ मिलाकर लगाने का सुझाव दिया। परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. देवकरण ने किसानों को पशु चारा प्रबंधन एवं उसके उत्पादन तकनीक से अवगत कराया वहीं इटाढ़ी के पशुपालन पदाधिकारी डॉ. शंभूशरण ने पशुपालकों को राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी दी। शिविर में क्षेत्र के 63 पशुपालक अपने मवेशियों के साथ मौजूद रहकर दी गई जानकारियों से अवगत हुए।