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आद्रा स्नान और मुंडन संस्कार को गंगा तट पर उमड़ी भीड़

बक्सर मुंडन संस्कार के लिए सोमवार व शुक्रवार का दिन अधिक शुभ माना जाता है। इस अवसर पर

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 09:38 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 09:38 PM (IST)
आद्रा स्नान और मुंडन संस्कार को गंगा तट पर उमड़ी भीड़
आद्रा स्नान और मुंडन संस्कार को गंगा तट पर उमड़ी भीड़

बक्सर : मुंडन संस्कार के लिए सोमवार व शुक्रवार का दिन अधिक शुभ माना जाता है। इस अवसर पर पौराणिक स्थल रामरेखाघाट पर शुक्रवार को उत्तरायणी गंगा में आस्था की डुबकी लगाने को हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े हुए थे। इस भीड़ की कारवां में आद्रा स्नानार्थी भी शामिल थे। आस्थवानों का घाट पर पहुंचने का सिलसिला अल सुबह से ही जारी था जो दोपहर तक जारी था।

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इस दौरान दयालपुर, पसहरा, बेलाउर, भितिहारा, खतीबा, जमुआव, बीसी-बसांव, आथर आदि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से गंगा स्नानार्थी पहुंचे हुए थे। जो बस, ट्रैक्टर, आटो, मैजिक, बोलेरो आदि छोटे-बड़े वाहनों की सवारी करके आए थे। इनमें कुछ उत्तर प्रदेश के निकटवर्ती जनपद से भी पहुंचे हुए थे। रामरेखाघाट पथ की ओर वाहनों की जाने पर लगी रोक के कारण सभी वाहन मॉडल थाना से पहले ही आस-पास सड़क किनारे खड़े किए गए थे जबकि सैकड़ों वाहन किला मैदान में पड़ाव लिए हुए थे। किला मैदान में बढ़ती भीड़ को देखते हुए खाने-पीने के खोंमचे व फल के ठेले भी दुकानदारों ने लगा रखे थे जो एक छोटा सा मेला का भान करा रहा था। घाट के पंडा रामबचन का कहना था की मुंडन संस्कार के अलावा आद्रा स्नानार्थियों की भीड़ भी आज अच्छी-खासी उमड़ी हुई है। नक्षत्र की विशेषता को लेकर बताया कि सनातन धर्म के सत्ताईस नक्षत्रों में एक नक्षत्र आद्रा भी है, जो छह तारीख को समाप्त हो रहा है। श्रद्धालु इस नक्षत्र में भगवान को खीर, दालपुड़ी, आम आदि अर्पित करते हैं। वहीं, अच्छी बारिश की कामना करते हैं ताकि, खेत-खलिहान अन्न से भरा रहे। त्रिलोकी पंडित ने कहा कि जब सूर्यदेव इस नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो पृथ्वी रजस्वला हो जाती हैं। इस नक्षत्र में बारिश होने की पूरी संभावना रहती है। आद्रा का अर्थ ही नमी है इस कारण उमस भी काफी पड़ती है। आस्था के इस कारवां में महिलाओं की संख्या सबसे अधिक दिखाई दे रही थी। रीति रिवाज से श्रद्धालुओं ने किया मुंडन संस्कार

मुंडन संस्कार के निमित घाट पर उमड़े श्रद्धालुओं ने बच्चों का अपने रीति-रिवाज के अनुसार मुंडन कराया। कोई गंगा मइया को साक्षी मानकर तट किनारे बच्चों के मुंडन कराकर पंडितों से पूजन आदि का कार्य पूरा कर अपने गंतव्य स्थान की ओर लौट गए तो कई नाव के सहारे गंगा तट के दूसरी छोर की ओर गए और वहां भी पूजन किए। कार्यक्रम के अंत में सबों ने स्वजनों के साथ महाप्रसाद ग्रहण किया। मुनि बाबा ने कहा कि बच्चों का पहला सिर का बाल उतार दिए जाने से एक तरफ जहां उनकी बुरी शक्तियों से रक्षा होती है। वहीं, बच्चे दीर्घायु तथा सुखी रहते हैं।

सुरक्षा के रहे कड़े प्रबंध

शुक्रवार को शुभ मुहूर्त पर उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा कड़े प्रबंध किए गए थे। इसके तहत शहर के रामरेखाघाट समेत अन्य महत्वपूर्ण घाटों पर दंडाधिकारी ओर सुरक्षा बलों के साथ गोताखोरों को भी तैनात किया गया था, जिससे किसी भी अनहोनी से तत्काल निपटा जा सके। दूसरी ओर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए रामरेखाघाट मार्म पर वाहनों का परिचालन बंद करा दिया गया था। इसके लिए थाना चौक पर काफी संख्या में बल तैनात किए गए थे।


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