नगर परिषद का कारनामा, कागज पर सड़क बना कर दिया भुगतान
बक्सर नगर विकास की जिम्मेदारी उठाने वाली नगर परिषद में अनियमितता के कई मामले उजागर हो
बक्सर : नगर विकास की जिम्मेदारी उठाने वाली नगर परिषद में अनियमितता के कई मामले उजागर हो रहे हैं। अभी बक्सर नगर परिषद में होल्डिग टैक्स घोटाले की जांच पूरी भी नहीं हुई कि डुमरांव नगर परिषद में कागज पर सड़क बना भुगतान करने का मामला सामने आ गया। डुमरांव में कागज पर सड़क निर्माण दिखाकर 4 लाख 78 हजार रुपये की राशि भुगतान कर दी गई। वार्ड संख्या 19 के पूर्व वार्ड पार्षद सुनील कुमार तिवारी की शिकायत पर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने जांच कराई तो फर्जीबाड़े के मामले की पुष्टि हुई। परिषद द्वारा नगर के हरियाणा फॉर्म से मंगरु यादव के घर तक बिना सड़क बनाए एमबी बुक कर दिया गया है। अपने आवेदन के साथ एमबी की छाया प्रति भी संलग्न की है। उन्होंने आवेदन में यह बताया कि कनीय अभियंता श्री भगवान सिंह के द्वारा यह कार्य कराया गया है। मामला सामने आने के बाद लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सुजीत कुमार ने लिखित रूप से यह बयान दिया कि हरियाणा फॉर्म से लेकर मंगरु यादव के घर तक कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया है। जिस सड़क के निर्माण का भुगतान किया गया है, वह शंभू चौधरी के घर से मेन रोड तक की है। उन्होंने यह भी कहा कि नगर विकास एवं आवास विभाग के अनुसार कार्य नियमित कनीय अभियंता से कराने का निर्देश है। ऐसे में यह कार्य नगर परिषद के कनीय अभियंता विजेंद्र झा द्वारा कराया गया है। जांच टीम ने सही पाया आरोप: कार्यपालक पदाधिकारी के इस जवाब से शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं हुए तथा उन्होंने मामले को पुन: अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां पहुंचाया। जहां परिवाद की गंभीरता को देखते हुए 16 अगस्त 2019 को अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने इस मामले की जांच अवर निर्वाचन पदाधिकारी एवं ग्रामीण कार्य विभाग के कनीय अभियंता को सौंपी। जांच टीम ने यह पाया कि परिवादी का आरोप सत्य है, यह पाया गया की वास्तव में जिस सड़क निर्माण योजना के नाम पर निकासी की गई है, उसका कार्य नहीं किया गया। वहीं, उस कार्य के बदले जिस कार्य के किए जाने की बात कार्यपालक पदाधिकारी बता रहे थे, उस कार्य में लागत राशि भले ही एक समान थी, लेकिन निर्माण के क्षेत्रफल में काफी अंतर था। मामले को जांच उपरांत स्थापना उप समाहर्ता को पत्रांक 78 दिनांक 17.01.20 के द्वारा भेज दिया गया है। वहीं, स्थापना उप समाहर्ता विकास जायसवाल ने बताया कि इस तरह का कोई पत्र उनके यहां आया होगा तो उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी।