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ठेकेदार धनजी सिंह की हत्या से कुख्यात बना चंदन

शाहाबाद के जिलों में आतंक का पर्याय बन चुका चंदन गुप्ता की गिरफ्तारी पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई थी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 11:54 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 06:15 AM (IST)
ठेकेदार धनजी सिंह की हत्या से कुख्यात बना चंदन
ठेकेदार धनजी सिंह की हत्या से कुख्यात बना चंदन

बक्सर। शाहाबाद के जिलों में आतंक का पर्याय बन चुका चंदन गुप्ता की गिरफ्तारी पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई थी। एक साल से स्पेशल टास्क फोर्स ने इस अपराधी को अपने राडार पर ले रखा था, लेकिन हर बार वह पुलिस को चकमा देने में कामयाब हो जाता था। इसी साल अगस्त में पुलिस ने उस पर 50 हजार रुपये के इनाम घोषित किए थे।

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बताया जाता है कि चंदन सुपारी किलर से कुख्यात अपराधी बना। चंद पैसे के लिए किसी की भी जान ले लेना उसके लिए बाएं हाथ का खेल है। बक्सर, आरा और सासाराम

में वह अपना आपराधिक नेटवर्क संचालित करता है और उसके गिरोह में तीस से सदस्य हैं। हालाकि, उनमें से अधिकाश अभी जेल में हैं। पुलिस ने उस पर दबिश बनाने के लिए डुमराव थाना कसिंया गाव में उसके घर पर कुर्की भी की, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी।

पुलिस सूत्रों के अनुसार वर्ष 2015 में पहली बाद चंदन गुप्ता का नाम लूट के केस में सामने आया इस मामले में वह जेल भी गया। जमानत पर बाहर आने के बाद वह बड़े अपराध करने लगा। वर्ष 2017 में धनजी सिंह उनके तीन सहयोगियों को मार चंदन गुप्ता कुख्यात बन गया। बताया जाता है कि धनजी की हत्या के लिए उसे किसी ने सुपारी दी थी। इस हत्याकाड के बाद उसने अपने दहशत का इस्तेमाल व्यवसाइयों से दोहन में किया। डुमराव में मुर्गा व्यवसायी दिनेश श्रीवास्तव की हत्या में भी

चंदन का नाम सामने आया। उसके बाद पुलिस उसे पकड़ने में जुटी तो उसने शहर कई प्रसिद्ध व्यवसायियों से फोनकर रंगदारी मागने का सिलसिला शुरू कर दिया। जिसने भी उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत की, उस पर उसने गोलीबारी शुरू कर दी। डुमराव में एक हार्डवेयर दुकान में उसने पुलिस की मौजूदगी में गोलीबारी की थी। इसके बाद पुलिस ने उसके र्क साथियों को पकड़ा, लेकिन चंदन पकड़ में नहीं आया। मोबाइल का नहीं करता है इस्तेमाल किसी भी अपराधी को पकड़ने में पुलिस आजकर तकनीक का सहारा लेती है। पुलिस की मानें तो चंदन गुप्ता मोबाइल फोन का इस्तेमाल नही करता है, इसी वजह से उसका सुराग पुलिस को इतने दिनों तक नहीं मिला। वह अपने गुगरें को इंटनेट कॉलिंग के द्वारा टार्गेट दे देता था। इसके अलावा वह अपने साथियों के माध्यम से सूचना

का आदान-प्रदान करता था। इस वजह से इतने दिनों तक एसटीएफ के हाथपाव मारने के बाद भी वह नहीं पकड़ा जा सका था।


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