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बच्चे छोड़ दिए स्कूल, पापा अभी भी बने हैं सचिव

बक्सर । प्रारंभिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों ने भले ही स्कूल छोड़ दिया और आगे की पढ़ा

By Edited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 03:04 AM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 03:04 AM (IST)
बच्चे छोड़ दिए स्कूल, पापा अभी भी बने हैं सचिव

बक्सर । प्रारंभिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों ने भले ही स्कूल छोड़ दिया और आगे की पढ़ाई में मशगूल हो गए, परन्तु विद्यालयों में सचिव बने उनके पापा आज भी सचिव के रूप में कार्यरत हैं। ऐसे में व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं कि विभाग ऐसे सचिवों को उनके पदों पर क्यों बरकरार रखे हुए है। कहीं विद्यालयों में सचिव के माध्यम से अवैध निकासी का खेल विभाग व प्रधानाध्यापकों की मिलीभगत से तो नहीं चल रहा है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्वशिक्षा अभियान मो. सईद अंसारी कहते हैं जिन शिक्षा समितियों ने अपनी अवधि पूरी कर ली है उनके गठन का आदेश दे दिया गया है। लेकिन, सवाल खड़ा हो रहा है जिन शिक्षा समितियों के सचिव के बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी है वे कैसे अपने पद पर बने हुए हैं।

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सूत्रों की मानें तो जिले के दर्जनों स्कूलों में यह व्यवस्था बरकरार है। बताया जाता है कि जिन बच्चों के आधार पर सचिव को सदस्यता मिली और वह आखिर तक सचिव बने उनके बच्चे पढ़ाई पूरी कर स्कूल से चले गए लेकिन, सचिव अभी भी अपने पद पर विराजमान हैं। जबकि, बच्चों के स्कूल से चले जाने के बाद उक्त अभिभावक की शिक्षा समिति में सदस्यता भी खत्म हो जाती है। इस परिस्थिति में वे किस आधार पर विद्यालयों में सचिव के पद पर विद्यमान हैं यह सोचने वाली बात है।

क्या है सचिव की भूमिका

प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में गठित विद्यालय शिक्षा समिति के सचिव व हेडमास्टर के हस्ताक्षर से ही विद्यालय में पैसों की निकासी होती है। वह चाहे किसी योजना से संबंधित पैसा हो या एमडीएम का, उसकी निकासी के लिए हेडमास्टर के साथ-साथ सचिव का हस्ताक्षर जरूरी होता है। ऐसे में विद्यालय में सचिव का महत्व बढ़ जाता है।

क्या है चयन का प्रावधान

विभागीय सूत्रों का कहना है कि पोषक क्षेत्र के बच्चों के अभिभावकों को विद्यालय शिक्षा समिति का सदस्य मनोनीत किया जाता है। यह प्रक्रिया आम सभा के माध्यम से सर्वसम्मति से पूरी की जाती है। उसके बाद इन्हीं सदस्यों के बीच से सचिव का मनोनयन होता है। अगर सर्वसम्मति नहीं बनी तो उस परिस्थिति में वो¨टग कराई जाती है। अब इस परिस्थिति में सवाल खड़ा होता है कि जब बच्चे ने स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली तो उनके अभिभावक सचिव कैसे बने रह सकते हैं।

तीन साल पहले हुआ है गठन

विभागीय सूत्र बताते हैं कि जिले में तीन साल पहले विद्यालय शिक्षा समिति का गठन किया गया है। इस परिस्थिति में बहुतेरे विद्यालयों में शिक्षा समिति की अवधि पूरी हो गई है। अब देखना है विभाग ऐसे सचिवों को कब बदलने की कार्रवाई करता है।

जिन शिक्षा समितियों ने अपनी अवधि पूरी कर ली है उनके गठन के लिए आदेश जारी कर दिया गया है। इस माह के अंत तक व जनवरी में इनका गठन कर लिया जाएगा।

मो.सईद अंसारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, सर्वशिक्षा अभियान, बक्सर।


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