बक्सर के आंशुमान को सिविल सेवा की परीक्षा में 107वां रैंक
बक्सर संघ लोग सेवा आयोग से मंगलवार को जारी भारतीय प्रशासनिक सेवा के फाइनल रिजल्ट में बक्सर
बक्सर : संघ लोग सेवा आयोग से मंगलवार को जारी भारतीय प्रशासनिक सेवा के फाइनल रिजल्ट में बक्सर में आंशुमान राज को 107 वां स्थान हासिल हुआ। उनका सिविल सेवा में यह चौथा प्रयास था। पिछले साल भी वे सिविल सेवा के लिए चयनित हुए थे। तब उनका रैंक 537वां था और अभी वे फरीदावाद में भारतीय राजस्व सेवा की ट्रेनिग ले रहे हैं। वे बक्सर के नावानगर प्रखंड के पूर्व मुखिया और आटा मिल संचालक सुदर्शन प्रसाद के पुत्र हैं। उनकी माता कन्या मध्य विद्यालय नावानगर में शिक्षिका हैं।
आंशुमन ने नावानगर नवोदय विद्यालय दसवीं की परीक्षा पास की। इसके बाद नवोदय विद्यालय रांची से 12 वीं की परीक्षा पास की। प्लस टू के बाद कोलकाता मैरिटाइम इंजीनियरिग संस्थान से उन्होंने मरीन इंजीनियरिग में बीटेक किया और साढ़े चार साल हांगकांग की एक शिपिग कंपनी में नौकरी की। आंशुमन बताते हैं कि जॉब के दौरान ही उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी। नौकरी से रोज दो तीन घंटे समय निकाल वे सिविल सेवा की तैयारी करते रहे। 2017 से अबतक वे चार बार सिविल सेवा की परीक्षा दे चुके हैं, जिनमें तीन बार साक्षात्कार तक गए। जिसमें पिछले साल की अपेक्षा इस बार बढि़या रैंक जाकर उन्होंने अपने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बनने के सपने को पूरा किया। पुत्र की सफलता से खुश पिता सुदर्शन प्रसाद ने बताया कि आंशुमन ने अपने माता पता के सपने को पूरा कर दिया। उसका एक छोटा भाई भी है जो सिविल इंजीनियरिग से बीटेक है और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है।
रटने से ज्यादा विषय को समझना सफलता के लिए जरूरी : आंशुमन
सिविल सेवा में सफलता हासिल करने के बाद बक्सर के आंशुमन राज ने अपनी तैयारियों और सफलता के बारे में विस्तृत बात की। फरीदाबाद में आइआरएस की ट्रेनिग ले रहे आंशुमन ने बताया कि यूपीएससी की तैयारी में यह मायने नहीं रखता कि आप रोज कितना पढ़ते हैं, यह मायने रखता है कि आप जो पढ़ते हैं उसे कितना समझते हैं। उन्होंने बताया कि मरीन इंजीनियर बैकग्राउंड से होने के बावजूद उन्होंने इतिहास को अपना एच्छिक विषय रखा। तैयारी के लिए उन्होंने कुछ ऑनलाइन कोचिग का सहारा लिया। इस बार लिखित परीक्षा उनका अच्छा गया था और बेहतर रैंक आने की उम्मीद उन्हें थी। उनका साक्षात्कार सत्यवती मैडम के बोर्ड में था और उन्होंने पहला सवाल यही पूछा कि जब आइआरएस में चयन हो चुका है तो फिर आइएएस में क्यों आना चाहते हैं, उन्होंने अपने संतुलित जवाब से बोर्ड को प्रभावित किया।