डुमरांव व्यवहार न्यायालय भवन निर्माण के लिए जमीन चिह्नित
बक्सर लंबे अर्से से भूमि के पेंच में फंसा डुमरांव व्यवहार न्यायालय के भवन एवं न्यायिक अधिकारि
बक्सर : लंबे अर्से से भूमि के पेंच में फंसा डुमरांव व्यवहार न्यायालय के भवन एवं न्यायिक अधिकारियों के आवास के निर्माण का रास्ता जल्द साफ हो सकता है। एक ओर जिला प्रशासन ने इसके लिए रैयती जमीन की पहचान कर ली है। वहीं, दूसरी ओर पशुपालन विभाग ने भी व्यवहार न्यायालय के लिए अपनी जमीन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया है।
बताते चलें कि पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ए.पी.शाही ने पिछले साल व्यवहार न्यायालय के निरीक्षण के दौरान पूर्व से पशुपालन विभाग की हस्तांतरित भूमि को अनुपयुक्त ठहरा दिया था। साथ ही नए भूमि उपलब्ध कराए जाने के लिए प्रशासन को आदेश दिया था। इस बार अनुमंडल प्रशासन द्वारा नए भूमि के तौर पर रैयती जमीन की पहचान की गई है। डुमरांव अंचल के सहयोग से भूमि उप समाहर्ता देवेन्द्र प्रताप शाही द्वारा वर्तमान में कार्यरत न्यायालय के निकट की रैयती भूमि का प्रस्ताव एवं प्रतिवेदन जिलाधिकारी के सुपुर्द किया जा चुका है। जिसके बाद जिला भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा भू-अर्जन में अनुमानित प्राक्कलन की राशि करीब 3 करोड़ 40 लाख से अधिक राशि तय की गई है। वहीं, पशुपालन विभाग के निदेशक बिनोद सिंह गुजियाल ने कार्यरत न्यायालय परिसर अथवा इसके नजदीक की भूमि चयन कर हस्तांतरण के लिए संशोधित प्रस्ताव तैयार कर भेजने के लिए बक्सर के जिलाधिकारी को पत्र दिया है। ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तावित भूमि के मामले में जिला जज के निरीक्षण प्रतिवेदन के बाद जल्द अंतिम निर्णय लिए जाने की संभावना है।