Move to Jagran APP

जिले में धान घोटाले के सूत्रधार पूर्व एडीएम आलोक कुमार की गई नौकरी

बकसर जिले में धान घोटाले के सूत्रधार तत्कालीन वरीय उप समाहर्ता सह राज्य खाद्य निगम के प्रबंधक

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 05:53 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 06:09 AM (IST)
जिले में धान घोटाले के सूत्रधार पूर्व एडीएम आलोक कुमार की गई नौकरी
जिले में धान घोटाले के सूत्रधार पूर्व एडीएम आलोक कुमार की गई नौकरी

बकसर : जिले में धान घोटाले के सूत्रधार तत्कालीन वरीय उप समाहर्ता सह राज्य खाद्य निगम के प्रबंधक एवं संप्रति अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी शेरघाटी, गया आलोक कुमार को अंतत: नौकरी से हाथ धोना पड़ गया। सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति का दंड अधिरोपित उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया। बताया जाता है कि महज दस साल की नौकरी करने के बाद ही उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई।

loksabha election banner

सरकार के अवर सचिव शिव महादेव प्रसाद ने अपने आदेश में कहा है कि तत्कालीन जिला प्रबंधक राज्य खाद्य निगम के विरुद्ध भारतीय खाद्य निगम में 36710.13 मैट्रिक टन सीएमआर जमा नहीं करने, रबी विपणन वर्ष 212-13 में क्रय किए गए अधिप्राप्ति गेहूं में से 17074.53 एमटी गेहूं भारतीय खाद्य निगम में जमा नहीं कराने का आरोप पत्र प्राप्त हुआ है। यही नहीं, अपने दायित्वों का सम्यक निर्वहन नहीं कर राजपुर प्रखंड क्रय केन्द्र के 1279.36 क्विटल धान को सड़ाने तथा 4960 क्विटल धान को डैमेज कर निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने संबंधी प्रतिवेदित अरोपों के लिए प्रबंध निदेशक बिाहर स्टेट फूड एंड सिविल सप्लाइज कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा गठित आरोप पत्र प्रपत्र क एवं दो पूरक आरोप पत्र साक्ष्य सहित मिला है। श्री कुमार से इनके संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की गई लेकिन उनके स्पष्टीकरण को स्वीकारयोग्य नही प्रतिवेदित किया गया। तत्पश्चात उनके आरोपों की वृहद जांच कराई गई, जिसके उपरांत आरोपपत्र प्रमाणित होने के पश्चात पूर्व प्रबंधक राज्य खाद्य निगम पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति का दंड अधिरोपित किया गया।

तब जागरण ने ही किया था मामले का खुलासा, चर्चा में रहा था कार्यकाल

तब दैनिक जागरण ने ही इस सीएमआर घोटाले का खुलासा किया था। उस समय तत्कालीन वरीय उप समाहर्ता सह राज्य खाद्य निगम के प्रबंधक का कार्यकाल काफी चर्चा में रहा था और सीएमआर घोटाले में तत्कालीन कई अधिकारियों पर सवालिया निशान लगे थे।

वर्ष 11-12, 12-13 और 13-14 में दिया गया था घोटाले को अंजाम

वित्तीय वर्ष 2011-12, 2012-13 एवं 2013-14 में 140 करोड़ रुपये के सीएमआर घोटाले को जिले में अंजाम दिया गया था। इसके अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2011-12 में 99 मिलर को टैग किया गया तो उसके बाद 2012-13 में 51 और 2013-14 में 7 मिलरों को टैग किया गया। इस तरह इन तीन वित्तीय वर्षों में इस घोटाले को अंजाम दिया गया। बताया जाता है कि मामला चर्चा में आने के बाद टैग किए जाने वाले मिलरों की संख्या घटती गई।

जो अस्तित्व में नहीं थे मिलर उन्हें भी कर दिया गया था टैग

धान देकर सीएमआर लेने के लिए जिन मिलरों को राज्य खाद्य निगम से टैग किया गया उनमें ऐसे मिलर भी थे जो अस्तित्व में ही नहीं थे। वे केवल कागज में ही संचालित हो रहे थे। या फिर ऐसे मिलर थे जिनकी क्षमता 100 क्विटल की थी लेकिन उन्हें 500 क्विटल की क्षमता दर्शाकर उन्हें टैग कर दिया गया। पूरे बिहार में 10 हजार करोड़ का हुआ था घोटाला

जागरण संवाददाता, बक्सर : आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय ने इस सीएमआर घोटाले का उछ्वेदन राज्य स्तर पर किया था। जागरण के साथ हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि पूरे बिहार में यह घोटाला 10 हजार करोड़ रुपये का हुआ था। उन्होंने बताया कि इसके सत्यापन के लिए पूरा चेन बना हुआ था लेकिन, कमीशन के खेल में सबकुछ लुप्त हो गया और करोड़ों के घोटाले को अंजाम दे दिया गया। श्री राय ने बताया कि इस मामले में तत्कालीन वरीय उप समाहर्ता पर तो कार्रवाई हुई लेकिन, देखा जाए तो इस मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी भी कम दोषी नहीं थे। पूरे प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में भी किसी जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी पर इस मामले में कार्रवाई नहीं हुई। श्री राय ने बताया कि कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई जांच की मांग की गई थी। लेकिन, इसकी सीबीआई जांच नहीं हो सकी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.