सात दिवसीय भागवत कथा के समापन पर हुआ विशाल भंडारा
जागरण संवाददाता बक्सर श्रीकृष्ण की लीला अकथनिय एवं अकल्पनीय है। उन्होंने 25 वर्ष की उम्र म
जागरण संवाददाता, बक्सर : श्रीकृष्ण की लीला अकथनिय एवं अकल्पनीय है। उन्होंने 25 वर्ष की उम्र में मथुरा में एक सभा का आयोजन कर अपना निश्चय सुनाया, कि अब वे मथुरा को छोड़कर समुद्र में द्वारकापुरी बनाएंगे। हमारी राजधानी द्वारिका होगी और संपूर्ण आर्यावर्त हमारा राज्य होगा।
उक्त बातें रविवार को श्रीरामेश्वर नाथ मंदिर में श्रीकृष्णान्द शास्त्री जी महाराज ने भागवत कथा के दौरान श्रद्धालुओं को बताई। उन्होंने बताया कि योग माया से सभी मथुरा वासी को द्वारिका भेज कर स्वयं बलराम के साथ पधारेंगे। योगेश्वर श्रीकृष्ण 16108 रूप धारण करके अपनी धर्म भार्यादाओ को गौरवान्वित करते थे। यह विवाह लीला अद्वितीय एवं अलौकिक है। उन्होंने अपने जीवन के 128 वर्ष में अनेक युद्ध किए तथा कराए जिनमें महाभारत अन्यतम है। 125 वर्षों में पृथ्वी सें दैत्यवृत्ति का विनाश कर दिया। भगवान ने ब्राह्माण का जीवन में सम्मान किया, परंतु उनके वंशधरो से ब्राह्माणों का भयंकर अपमान हुआ। परिणामस्वरूप ब्राह्माणों ने ऐसा अभिशाप दिया जो कभी किसी को नहीं मिला। 56 करोड़ यदुवंशियों का ब्राह्माणों के एक अभिशाप ने विनाश कर दिया और श्री कृष्ण अपनी आंखों से देखते रहे। यही श्री कृष्ण के जीवन चरित्र का सर्वोत्कृष्ट मिसाल है। वे अपने जीवन में सर्वाधिक महत्व धर्म को ही देते रहे। जो धर्मानुसार आचरण करता है, वह उनको प्रिय है और जिसे धर्म प्रिय है ही नहीं वह उनका भी प्रिय नहीं है। यही ईश्वर का तत्व एवं रहस्य इस भागवत महापुराण में वर्णित है। यही उपदेश और संदेश भागवत महापुराण देता है। सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित इस 14वें धर्मायोजन की रविवार को पूर्णाहुति के बाद विशाल भंडारा का आयोजन किया गया जिसमें हजारों की संख्या में आगत श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।