मेडिकल कालेज की जमीन में उलझा वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के नूतन परिसर की जमीन पर मेडिकल कालेज बनाये जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है।
मेडिकल कालेज की जमीन में उलझा वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय
जागरण संवाददाता, आरा : वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के नूतन परिसर की जमीन पर मेडिकल कालेज बनाये जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है। दूसरी ओर उच्च शिक्षा विभाग ने सितंबर तक विश्वविद्यालय को नैक से मूल्यांकन कराने का निर्देश दिया है। वीकेएसयू का कहना है कि परिसर की जमीन को मेडिकल कालेज को आवंटित होने के बाद विश्वविद्यालय के पास मानक के अनुरूप जमीन नहीं बचेगा। यह नैक से मूल्यांकन में बड़ा बाधक साबित होगा।
हालांकि, सरकार की ओर से कोईलवर में विश्वविद्यालय के लिए जमीन देने का आश्वासन दिया गया है। दूसरी ओर यूजीसी के अनुसार विश्वविद्यालय अथवा कालेज की जमीन अधिकतम दो हिस्सों में कम से कम 40 एकड़ होनी चाहिए। दूसरी ओर मेडिकल कालेज के निर्माण में हो रही देरी पर जनता सरकार को घेर रही है, क्योंकि 2019 के चुनाव से पहले ही इसकी घोषणा हुई थी। ऊर्जा मंत्री सह आरा के सांसद जिले में मेडिकल कालेज को जल्द खुलवाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं और सार्वजनिक मंच से जल्द शिलान्यास की घोषणा भी कर चुके हैं।
छात्र संगठन व शिक्षक यूनियन करता रहा विरोध
सरकार द्वारा मेडिकल कालेज के आवंटन के विरोध में गत फरवरी 2021 में शिक्षक, छात्र संगठन व शिक्षक यूनियन ने विरोध किया था। बाद में तत्कालीन कुलपति प्रो. देवी प्रसाद तिवारी ने विश्वविद्यालय के मात्र साढ़े सात एकड़ जमीन का ही दाखिल-खारिज किये जाने की जानकारी देकर विरोध के स्वर को ठंडा कर दिया था। शेष जमीन की रजिस्ट्री विवि के विरोध के कारण स्थगित हो गई थी। 25 एकड़ जमीन को मेडिकल कालेज के लिए दाखिल-खारिज होने की जानकारी मिली थी। कुलसचिव डा. धीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विश्वविद्यायल और मेडिकल कालेज दोनों यहां के लिए जरूरी है और विश्वविद्यालय को कैसे बचाया जाय, इस पर सभी को विचार करना होगा।
मेडिकल कालेज बनाने की तैयारी पूरी
विश्वविद्यालय के नूतन परिसर की जमीन पर मेडिकल कालेज बनाने की पूरी तैयारी की गई है। जानकार सूत्रों की माने तो कालेज के लिए डीपीआर तैयार हो गया है। निविदा की प्रक्रिया चल रही है। विश्वविद्यालय की 25 एकड़ जमीन आवंटित हुई है। 555 करोड़ की राशि भी स्वीकृत हुई है। जमीन की मिट्टी की जांच भी हो चुकी है। इसे बचाने के लिए बीते वर्ष आंदोलन हुआ था। सरकार द्वारा नूतन परिसर के जमीन के बदले विश्वविद्यालय को कोईलवर में जमीन देने की जानकारी दी गई थी। जिसे विश्वविद्यालय ने मानने से इंकार किया। बाद में क्या हुआ, इससे विश्वविद्यालय प्रशासन बेफिक्र रहा।