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टीबी उन्मूलन अभियान- मिशन 2025 ने पकड़ी रफ्तार

सरकार ने 2025 तक देश को टीबी रोग से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Aug 2022 05:26 PM (IST)Updated: Tue, 02 Aug 2022 05:26 PM (IST)
टीबी उन्मूलन अभियान- मिशन 2025 ने पकड़ी रफ्तार
टीबी उन्मूलन अभियान- मिशन 2025 ने पकड़ी रफ्तार

टीबी उन्मूलन अभियान- मिशन 2025 ने पकड़ी रफ्तार

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जागरण संवाददाता, आरा: सरकार ने 2025 तक देश को टीबी रोग से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत जिले में जिला यक्ष्मा केंद्र का टीबी के खिलाफ मजबूती से अभियान चल रहा है। इसके लिए सदर अस्पताल से लेकर अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर शिविर लगाकर लोगों की जांच की जाती है। साथ ही ईंट-भट्ठों, झुग्गी झोपड़ियों, धूल-मिट्टी से भरे कार्य स्थलों पर समय-समय पर जांच शिविर भी लगाए जाते हैं। भोजपुर जिले में टीबी रोगियों के लिए चलाई जा रही इस योजना के तहत 47 मरीजों का इलाज चल रहा है।

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नियमित दवा के सेवन से पूर्णत: ठीक हो सकता है टीबी

टीबी की दवा नियमित रूप व निर्धारित अवधि तक खाने से यह पूर्णत: ठीक हो सकता है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डा. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि टीबी संक्रामक बीमारी जरूर है और इससे सुरक्षा के लिए सावधानी बरतना भी जरूरी है।

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नए मरीजों की हो रही खोज

डा. सिन्हा ने बताया जिले में टीबी मरीजों की खोज की जा रही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग सजग है। सदर अस्पताल से लेकर अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में शिविर लगाकर लोगों की जांच की जाती है। इसके अलावा ईंट-भट्ठों, झुग्गी झोपड़ियों, धूल-मिट्टी से भरे कार्य स्थलों आदि पर समय जांच शिविर भी लगाए जाते हैं। अगर जांच में टीबी रोग के लक्षण पाएं जाते हैं, तो इसका इलाज शुरु किया जाता है। साथ ही, उसकी पूरी जानकारी निक्षय पोर्टल पर दी जाती है।

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उचित पोषण के लिए प्रति माह पांच सौ रुपये दी जाती है सहायता राशि

टीबी के मरीजों को उचित खुराक उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से निक्षय पोषण योजना चलाई गई है। इसमें टीबी के मरीजों को उचित पोषण के लिए 500 रुपये प्रत्येक महीने दिए जाते हैं। यह राशि उनके बैंक खाते में सीधे पहुंचती है।

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दवाओं के गलत सेवन से गंभीर हो सकती है बीमारी

डा. सिन्हा ने बताया कि टीबी की दवाओं का सही ढंग से कोर्स नहीं करने एवं बिना चिकित्सक की सलाह पर टीबी की दवाएं खाने से ही सामान्यता एमडीआर-टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है। एमडीआर टीबी होने पर सामान्य टीबी की कई दवाएं एक साथ प्रतिरोधी हो जाती हैं। लेकिन, उचित इलाज व दवाओं के सेवन से जिले के कई मरीज टीबी चैंपियन भी बन चुके हैं। भोजपुर जिले में फिलहाल टीबी रोगियों के लिए चलाई जा रही इस योजना के तहत 47 मरीजों का इलाज चल रहा है।


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