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उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल से मिट्टी हो रही खराब

कहा जाता है कि जैसी मिट्टी का अनाज खाएंगे वैसी सेहत भी रहेगी। अधिक उपज की आस में हम खेत की मिट्टी की सेहत को भूलते जा रहे हैं। किसानों द्वारा खेतों में बेहिसाब यूरिया व अन्य उर्वरकों का इस्तेमाल उर्वरा शक्ति के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jul 2022 11:25 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2022 11:25 PM (IST)
उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल से मिट्टी हो रही खराब
उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल से मिट्टी हो रही खराब

सासाराम (रोहतास) । कहा जाता है कि जैसी मिट्टी का अनाज खाएंगे वैसी सेहत भी रहेगी। अधिक उपज की आस में हम खेत की मिट्टी की सेहत को भूलते जा रहे हैं। किसानों द्वारा खेतों में बेहिसाब यूरिया व अन्य उर्वरकों का इस्तेमाल उर्वरा शक्ति के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। कृषि विभाग द्वारा जिले के सभी प्रखंडों में कराए गए मिट्टी के नमूनों की जांच में यह बात निकल कर सामने आई है। जांच में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटास में काफी कमी पाई गई है। इसका सबसे प्रमुख कारण किसानों में जागरूकता के अभाव में उर्वरक का अत्यधिक इस्तेमाल माना जा रहा है।

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कृषि अधिकारियों के अनुसार जिले के 19 प्रखंडों से प्राप्त दस हजार 567 नमूनों में से नाइट्रोजन की निम्न मात्रा 1317, मध्यम 8714 तथा मात्र 536 में ही अधिक पाए गए। इसी प्रकार फास्फोरस की निम्न मात्रा 2106, मध्यम 7807 तथा उच्च मात्र 654 व पोटास की निम्न मात्रा 1113, मध्यम 7355 तथा उच्च 2099 पाई गई है।

दिनारा प्रखंड के मिल्की गांव निवासी प्रगतिशील किसान रामबचन पांडेय का कहना है कि किसान प्राकृतिक उर्वरक के उपयोग के बजाय बाजार से यूरिया खरीद खेतों में डाल रहे हैं। किसानों को समय समय पर अपनी खेत की मिट्टी के नमूनों की जांच तथा कृषि वैज्ञानिकों से भी सलाह लेनी चाहिए। प्राकृतिक उर्वरक जैसे नीम के पत्ते व वर्मी कंपोस्ट का उपयोग सबसे ज्यादा लाभकारी है।

कहते हैं अधिकारी,

सेहतमंद पैदावार के लिए लगभग 17 प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिसमें नाइट्रोजन, पोटाश, सल्फर, फास्फोरस, जिक और बोरन समेत कई अन्य शामिल हैं। दलहनी फसलें नाइट्रोजन की रक्षा करती हैं। ढैंचा, मूंग, उड़द, मसूर आदि के पौधे वायुमंडलीय नाइट्रोजन को भूमि में स्थिर रखते हैं। गोबर खाद, कंपोस्ट, एफवाईएफ, फसल अवशेष प्रबंधन से भी मिट्टी की सेहत को सुधारा जा सकता है।

- अंशु राधे, सहायक निदेशक, रसायन प्रखंड वार मिट्टी जांच के नमूनों की स्थिति

प्रखंड - नाइट्रोजन

नमूने - निम्न - मध्यम - उच्च

अकोढ़ीगोला 858 - 108 - 718 - 32

बिक्रमगंज 711 - 91 - 586 - 34

चेनारी 543 - 80 - 432 - 31

दावथ 745 - 92 - 607 - 46

डेहरी 717 - 89 - 582 - 46

दिनारा 633 - 71 - 534 - 28

काराकाट 608 - 87 - 486 - 35

करगहर 484 - 49 - 416 - 19

संझौली 292 - 33 - 251 - 08

कोचस 430 - 44 - 370 - 16

नासरीगंज 474 - 62 - 384 - 28

नौहट्टा 219 - 38 - 172 - 09

नोखा 516 - 51 - 444- 21

सूर्यपुरा 648 - 62 - 557 - 29

राजपुर 915 - 122 - 739 - 60

रोहतास 323 - 53 - 252 - 18

सासाराम 694 - 80- 575 - 39

शिवसागर 573 - 70 - 471 - 32

तिलौथू 184 - 35 - 144 - 05


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