सावन की प्रथम सोमवारी पर मंदिरों में सन्नाटा
सावन का महीना शुरू हुआ। कई पर्वों के बाद कोरोना का व्यापक असर सावन पर भी दिखा।
आरा। सावन का महीना शुरू हुआ। कई पर्वों के बाद कोरोना का व्यापक असर सावन पर भी दिखा। जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा ने सुरक्षा व बचाव के लिए कोरोना को लेकर शिवालयों में जल चढ़ाने पर रोक के आदेश पर शहर के कई मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा। सिर्फ पुजारी ने प्रात: और संध्या वेला में आरती की। न घंटियां बजीं और न ही हर-हर महादेव का जयघोष हुआ। वहीं चंद मंदिरों में मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। सावन मास की पहली सोमवारी पर प्रात:काल से की शहर के कुछ शिवालयों में लोगों को पहुंचना शुरू हुआ। कई मंदिरों के पुजारियों ने श्रद्धालुओं से जिलाधिकारी के निर्देश का हवाला देते हुए घर पर ही पूजा-पाठ करने की सलाह दी। पतालेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी सोमनाथ पांडेय ने बताया कि मेन गेट बंद कर दिया था, जिसके कारण गेट के पास श्रद्धालु आकर एकत्रित हो गए थे और गेट खोलने का अनुरोध किया। लेकिन मैंने गेट नहीं खोला और घर पर ही पूजा-अर्चना करने को कहा। फिर सभी श्रद्धालु घर लौट गए। मंदिर में प्रात: और संध्या वेला में हमने सिर्फ आरती की। बाबा सिद्धनाथ महादेव मंदिर, बिद टोली के पुजारी सिद्धेश्वर नाथ गिरी ने बताया कि डीएम के आदेश के आलोक में मंदिर का मेन गेट बंद कर दिया गया था। गेट पर श्रद्धालु पहुंचकर गेट खोलने का अनुरोध किये। लेकिन गेट नहीं खुलने पर वहीं से ही श्रद्धालु दर्शन कर चले गए। इसी तरह कई मंदिरों में हुआ। वहीं बुढवा महादेव मंदिर का मेन गेट बंद था। मंदिर परिसर में ही श्रद्धालु ने जल चढ़ाकर पूजा-अर्चना की। सावन की पहली सोमवारी पर इसी तरह कमोबेश कई शिवालयों में स्थिति रही। विदित हो कि इसके पूर्व अब तक सावन के अवसर पर काफी चहल-पहल होती थी। सभी शिवालयों में सजावट और गीत-भजन गूंजते रहता था। सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं का तांता पूजा-अर्चना के लिए लगा रहता था। मंदिर की घंटिया बजती रहती थीं और हर-हर महादेव का जयघोष होते रहता था। मंदिर के बाहर पूजन सामग्रियों की अस्थाई दुकानें सजी रहती थीं। लेकिन इस बार कोरोना को लेकर ऐसा कुछ भी नहीं दिखा।