लोगों की स्मृतियों में आज भी मौजूद हैं प्रो. उमाशंकर
प्रो. उमाशंकर पांडेय बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।
आरा । प्रो. उमाशंकर पांडेय बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनकी चर्चा करते ही हमारे समक्ष मृदुभाषी, सरल स्वभाव, सहृदय, मिलनसार रामचरित मानस व गीता के मर्मज्ञ, राजनीतिक आकांक्षाओं से सर्वथा दूर रहने वाला व्यक्तित्व उभर कर सामने आता है। गुरु इंसान के व्यक्तित्व, मूल्यों और उसूलों की बुनियाद होते हैं। इसके साक्षात उदाहरण थे प्रो. उमाशंकर पांडेय। वे आजीवन, शिक्षा, अध्यात्म व समाज के लिए समर्पित रहे। वे सभी की मदद करनेवाले और छात्रों पर विशेष ध्यान देने वाले प्राध्यापक थे। जैन कॉलेज में छात्र डॉ. पाण्डेय की सरस व ललित शैली में विज्ञान के साथ अध्यात्म के गंभीर रहस्यों को सीखते थे। उनसे पढ़े हुए कई चिकित्सक, इंजीनियर, अधिकारी और प्रोफेसर देश-विदेशों में फैले हुए हैं। लगभग 85 वर्षीय प्रो. पांडेय का गत वर्ष 22 फरवरी को हार्ट अटैक होने से निधन हो गया था। वे आज भी लोगों की स्मृतियों में मौजूद हैं।
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शिक्षा : प्रो. उमाशंकर पांडेय का जन्म 7 जनवरी 1936 में उत्तर प्रदेश के झांसी में हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा विभिन्न स्थलों पर हुई। वर्ष 1950 में मैकडोनल हाई स्कूल झांसी से मैट्रिक पास किया। इसके बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे कोलकाता अपने चाचा केशव पांडेय के यहां आ गए। वर्ष 1954 में वंगवासी कॉलेज, कोलकता से स्नातक उत्तीर्ण हुए। तदरोपरांत पटना विश्वविद्यालय से वर्ष 1956 में र सायनशास्त्र में स्नातकोत्तर उत्तीर्ण हुए। रिजल्ट निकलने के बाद शीघ्र ही 23 अगस्त 1956 को शाहाबाद के प्रतिष्ठित महाविद्यालय हर प्रसाद दास जैन कॉलेज के रसायनशास्त्र विभाग में बतौर व्याख्याता नियुक्त हुए। 31 जनवरी 1996 को वे सेवानिवृत्त हुए।
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शिक्षा प्राप्त करने के दौरान मिला वजीफा : मैट्रिक परीक्षा में पूरे झांसी में अव्वल आने के कारण इन्हें इंटर में प्रतिमाह 16 रुपये का वजीफा मिला। पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान अपने मित्रों के साथ ये घूमने के लिए निकले थे। इनकी विद्वता को देखकर गांव के तत्कालीन लोकप्रिय आई.सी.एस. अधिकारी एल.पी.सिंह ने इनसे संपर्क किया। साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह से 600 रुपए प्रति माह वजीफे की स्वीकृति दिलाई। वहीं अपने स्तर से प्रति माह 200 रुपया देना शुरू किया।
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जीवन में गांधी से हुए काफी प्रभावित : कहा जाता है कि स्कूल में फैंसी ड्रेस की प्रतियोगिता में सभी छात्र विभिन्न भूमिकाओं में थे। लेकिन बालक उमाशंकर पांडेय के मन में गांधी जी की छवि अंकित थी। वे गांधी जी की भूमिका में इस प्रतियोगिता में शामिल हुए। इस दौरान वे गांधी जी को आत्मसात करते रहे। इसके बाद ऐसा हुआ कि वे गांधी जी की छवि से निकल नहीं पाएं। गांधी जी का इनके ऊपर गहरा प्रभाव रहा।
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जीवन पर बना डॉक्यूमेंट्री साधनापूत : प्रो. उमाशंकर पांडेय के जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री साधनापूत का निर्माण भोजपुर दर्शन चैरिटेबुल ट्रस्ट ने किया था। इसके लेखक ओ.पी. पांडेय और निर्देशक व प्रस्तुतकर्ता राजेश तिवारी हैं। गीत-संगीत बीरेन्द्र पांडेय का है। गीत को गायिका निशा तिवारी ने गाया। 93वीं जयंती के अवसर पर 7 जनवरी 1919 को स्थानीय मोहन सिनेमा हॉल में इसका प्रदर्शन किया गया था। इसके अलावा ट्रस्ट द्वारा इनके जीवन पर केन्द्रित प्रो.उमाशंकर पांडेय अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन वर्ष 2018 व वर्ष 2019 में अध्यात्म पुरुष : प्रो. उमाशंकर पांडेय प्रदक्षिणा का प्रकाशन हुआ।
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दर्जनभर संगठन व संस्थानों से थे जुड़े : प्रो. उमाशंकर पांडेय लगभग दर्जनभर संगठनों व संस्थानों के विभिन्न पदों व सदस्य के रूप में जुड़े थे। प्रमुख संस्थानों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, वीकेएसयू सीनेट व सिडिकेट, भोजपुर दर्शन चैरिटेबल ट्रस्ट, नागरी प्रचारिणी सभा, जनहित परिवार, शाहाबाद रामायण परिषद् आदि है।