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नहीं रहे गीतकार व संगीतकार अरविन्द कृष्ण

सिर्फ संगीत ही लय में नहीं चलता बल्कि शरीर का सिस्टम भी लय में होता है। यदि लय में बाधा उत्पन्न होती है तो हम बीमार पड़ जाते हैं और फिर इस दुनिया का अलविदा कह देते है। उक्त बातें कहने वाले नृत्य गुरु गीतकार संगीतकार व तबलावादक अरविन्द कृष्ण शुक्रवार को दुनिया को अलविदा कह दिया। पिछले माह से कैंसर से जिदगी और मौत से जंग लड़ते हुए पूर्वाह्न 3.20 बजे पटना के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे आजीवन संगीत से जुड़े रहे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jul 2022 11:22 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2022 11:22 PM (IST)
नहीं रहे गीतकार व संगीतकार अरविन्द कृष्ण
नहीं रहे गीतकार व संगीतकार अरविन्द कृष्ण

आरा (भोजपुर) । सिर्फ संगीत ही लय में नहीं चलता, बल्कि शरीर का सिस्टम भी लय में होता है। यदि लय में बाधा उत्पन्न होती है तो हम बीमार पड़ जाते हैं और फिर इस दुनिया का अलविदा कह देते है। उक्त बातें कहने वाले नृत्य गुरु, गीतकार, संगीतकार व तबलावादक अरविन्द कृष्ण शुक्रवार को दुनिया को अलविदा कह दिया। पिछले माह से कैंसर से जिदगी और मौत से जंग लड़ते हुए पूर्वाह्न 3.20 बजे पटना के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे आजीवन संगीत से जुड़े रहे।

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कई भोजपुरी फिल्मों में गीत लिखे और संगीत दिया : अरविन्द कृष्ण ने सैकड़ों भोजपुरी गीतों व गजलों को लिखा। कई भोजपुरी फिल्मी गीतों को लिखा और संगीत दिया। इसके अलावा महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, हरिवंश राय बच्चन, नीरज, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, कबीर, मीराबाई, रैदास आदि की सैकड़ो रचनाओं को संगीतबद्ध किया। आरा में एक कार्यक्रम के दौरान मशहूर गायिका परवीन सुल्ताना के साथ तबले पर संगत करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ।

संपूर्ण साक्षरता अभियान के गीत हुआ लोकप्रिय : जिले में चर्चित भोर संपूर्ण साक्षरता अभियान के दर्जनों साक्षरता गीतों को अरविन्द कृष्ण ने लिखा और संगीतबद्ध किया। आठ गीतों का जारी अलबम पूरे प्रदेश में लोकप्रिय हुआ। अरविन्द कृष्ण प्रख्यात मृदगवादक शत्रुंजय प्रसाद सिंह उर्फ बाबू ललन जी के शिष्यों में से एक थे। श्री शत्रुंजय संगीत विद्यालय के संचालन में इनकी अहम भूमिका रही।

संगीत से विशेष लगाव के कारण कई बार हुए निलंबित : भोर के सचिव सुशील कुमार ने बताया कि अरविन्द कृष्ण समाहरणालय में क्लर्क थे। कई बार इनका ट्रांसफर आरा से बाहर हुआ, लेकिन संगीत से लगाव के कारण ये वहां ज्वाइन नहीं किये। जिसके कारण निलंबित होना पड़ा। शनिवार को पटना के दीघा घाट पर अंतिम संस्कार हुआ। इनके सुपुत्र रमण कृष्ण ने मुखाग्नि दी। इस अवसर पर स्वजनों के अलावा इनके शिष्य व संगीत से जुड़े कई लोग मौजूद थे।


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