भोजपुर में सीनेट की बैठक में खली आइसी कुमार, अवधेश सिंह की अनुपस्थिति
पंडित जी कुछ ऐसा कीजिए ताकि आपके जाने के बाद लोग याद करें।
आरा। पंडित जी, कुछ ऐसा कीजिए, ताकि आपके जाने के बाद लोग याद करें। भोजपुर जिले के लोग कहेंगे कि उत्तर प्रदेश से एक कुलपति आया था, जिनके कार्यकाल में विवि में अमुक काम हुआ था। सृजन करने में मेहनत है, मान्यता समाप्त करना तो आसान व सरल है। यह वाक्या पूर्व कुलपति आइसी कु़मार का है, जो वर्ष 2020 के सीनेट की बैठक में व्यक्त किया था। उनकी भाषा मर्म से सनी, परंतु ओजस्वी थी। जिसे इस बार की सीनेट में नहीं सुनी जा सकी। उनके पास विवि के 28 से अधिक सीनेट में हिस्सा लेने का अनुभव था। वे वीर कुंवर सिंह विवि में महाराजा विधि महाविद्यालय के सवाल पर अपना विचार व्यक्त कर रहे थे। आइसी कुमार को लोग विवि में विज्ञान भवन से विभिन्न कॉलेजों में कई निर्माण कार्य के लिए याद करते हैं। विधान सभा के सभापति अवधेश कुमार सिंह ने गंजभड़सरा, रोहतास में शासी निकाय के भंग के सवाल पर महत्वपूर्ण सवाल उठाये थे, जिसे सीनेट में सुधार किया गया। ऐसे कई सवालों को वे बीच में खड़े होकर अपने अनुभवों से दुरुस्त करते थे। ऐसे कई सवाल और जवाब से लबरेज अनुभव आइसी कुमार सीनेट में हर बार परोसते थे। जिसको सुनकर नए व पुराने सीनेटर मन ही मन गदगद होते थे। ऑनलाइन बैठक में मात्र 48 सीनेटर शामिल हुए। आइसी कुमार जैसे मुखर सीनेटर नहीं जुड़ पाये। वैसे तो वीर कुंवर सिंह विवि में सीनेट की बैठक शांतिपूर्ण गुजर गई, लेकिन औपचारिकता के सिवाय कुछ नहीं निभाया गया। छात्र हित के सवाल उठे ही नहीं। सिर्फ शिक्षकों की प्रोन्नति, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पेंशन जैसे मसलों पर मुहर लगी। विगत 2020 सीनेट की बैठक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कार्यवाही के बीच में जबर्दस्त हंगामा किया था। कुलपति प्रो. देवी प्रसाद तिवारी ने आक्रोश में आकर उन सभी हंगामे में शामिल छात्रों को विवि से निष्कासित करने का फरमान जारी किया था। जो हंगामे की आग में घी की तरह साबित हुआ था। बाद में आइसी कुमार ने मामले की नजाकत समझते हुए पहल कर खत्म किया था।
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अल्प अवधि के लिए याद किया जाएगा सीनेट
सीनेट बैठक को अल्प अवधि और शांतिपूर्ण आयोजन के लिए याद किया जाएगा। औपचारिकता निभाई गई और शिक्षा विभाग को 15 जनवरी तक भेजने का लक्ष्य प्राप्त किया गया। मात्र डेढ़ घंटे सीनेट की बैठक चली। विवि के इतिहास मे सबसे कम अवधि के सीनेट की बैठक के रूप में याद किया जाएगा। अक्सर सीनेट की बैठक छह से सात घंटे होती है। बैठक की शुरूआत पूर्वाह्न 11 बजे हुई और अपराह्न 12.30 बजे खत्म हो गई। शांतिपूर्ण तरीके से सीनेट को आयोजित करने के लिए याद किया जाएगा। ऑनलाइन सदन में अधिकांश सीनेटर मुकदर्शक बने रहे। शिक्षा व शैक्षणिक मुद्दे सदन में विषय नहीं था। विभिन्न तरह की बनीं कमेटियों बेमानी साबित हुई। मांगें गए प्रश्नों पर कोई जवाब सवाल नहीं हुआ। इसको लेकर किसी ने आवाज नहीं उठायी। ना ही किसी मुद्दा को। सवाल उठाने वाले सदन से बाहर यानी ऑनलाइन सीनेट का बहिष्कार किए। उसकी कमान संभाले रहे पूर्व सीसीडीसी डॉ. नीरज कुमार, देववंश सिंह और विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह। परिसर से लेकर कुलपति आवास तक आइसा ने विरोध जताया। राजद छात्र संघ ने कुलपति का पुतला फूंका। जाप और जदयू के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। विरोध के स्वर उठे, परंतु उनकी आवाज विवि की दीवार से टकराकर लौट गई।