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गुरूकृपा से ही ज्ञानलाभ सम्भव है: संत देवराहा

संत देवराहा शिवनाथदास जी महाराज ने चंदवा के पश्चिम टोला स्थित शांति भवन में आयोजित प्रवचन के दौरान भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान शिव सच्चे गुरु हैं। आध्यात्मिक जगत में सदगुरू का विशेष महत्व एवम स्थान है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 11:37 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 11:37 PM (IST)
गुरूकृपा से ही ज्ञानलाभ सम्भव है: संत देवराहा

जागरण संवाददाता, आरा: संत देवराहा शिवनाथदास जी महाराज ने चंदवा के पश्चिम टोला स्थित शांति भवन में आयोजित प्रवचन के दौरान भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान शिव सच्चे गुरु हैं। आध्यात्मिक जगत में सदगुरू का विशेष महत्व एवम स्थान है।

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गुरु की कृपा के बिना ईश्वर को पाना असंभव है। गुरु और ईश्वर ब्रह्म तत्व के ही दो रूप या तत्व हैं। गुरुतत्व ईश्वरतत्व से अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण इसीलिए है कि वही ईश्वरीय तत्व से जीव का साक्षात्कार कराता है। ईश्वरप्राप्ति के लिए सदगुरू की जरूरत है। जो जीव गुरु के बताए मार्ग पर चलता है, गुरु को ध्यान में रखकर उठता-बैठता, चलता-फिरता है, वह स्वयं शिव हो जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि गुरु के बिना सीखे योग, छीजे काया, बढ़े रोग। इस मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद थे। शिव सत्य हैं और कल्याणकारी हैं: सच्चिदानंद पांडेय

संवाद सूत्र, उदवंतनगर : प्रखण्ड क्षेत्र के सरफाफर गांव में चल रहे पांच दिवसीय शिव प्रतिष्ठात्मक यज्ञ के चौथे दिन प्रवचन करते हुए श्रीमद भागवत कथा वाचक सच्चिदानंद पाण्डेय ने भगवान शिव को सृष्टि का सृजनकर्ता व संहारक बताया। उन्होंने कहा कि शिव का अर्थ है कल्याणकारी। कल्याण करना ही उनका लक्ष्य है इसलिए लोग उन्हें शिव कहते हैं। आचार्य संप्रदाय शिव को वैष्णवाधिराज मानते हैं, क्योंकि शिव से बड़ा तीनों लोकों में कोई विष्णु भक्त नहीं है। शिव प्रतिष्ठात्मक यज्ञ मनुष्य के दैहिक, दैविक व भौतिक तापों से मुक्ति दिलाता है। अन्य कथावाचकों में श्री त्रिडंडी स्वामीजी के शिष्य रामानुजाचार्य सत्यनारायण स्वामी जी मुख्य थे। यज्ञाचार्य सुदामा त्रिपाठी ने वैदिक मंत्रों के बीच यज्ञाहुति दी। व्यवस्थापकों में श्याम नारायण यादव, रामानुज सिंह, भुनेश्वर सिंह,प्रेम कुमार साह, रमेश सिंह, पप्पू सिंह,टिकू यादव सहित समस्त ग्रामीणों का विशेष सहयोग रहा।


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