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भोजपुर में दिगंबर जैन संतों का जोरदार आगवानी

दिगंबर जैन श्रमण परंपरा के प्रख्यात संत आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज समेत 24 पिच्छी नि‌र्ग्रन्ध जैन साधुओं के ससंग का स्थानीय जैन समाज ने गाजे-बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा निकालकर पूरे उमंग उत्साह और श्रद्धापूर्वक आगवानी की।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 10:55 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 10:55 PM (IST)
भोजपुर में दिगंबर जैन संतों का जोरदार आगवानी
भोजपुर में दिगंबर जैन संतों का जोरदार आगवानी

आरा। दिगंबर जैन श्रमण परंपरा के प्रख्यात संत आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज समेत 24 पिच्छी नि‌र्ग्रन्ध जैन साधुओं के ससंग का स्थानीय जैन समाज ने गाजे-बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा निकालकर पूरे उमंग, उत्साह और श्रद्धापूर्वक आगवानी की। जैन श्रद्धालुओं द्वारा शोभायात्रा के दौरान कई जगह पाद प्रक्षालन, मंगल आरती और पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया। शोभायात्रा के दौरान जय-जय गुरुदेव, जियो और जीने दो, अहिसा परमो धर्म: और जिनशासन संघ जयवंत हो आदि नारे से सड़कें गुंजती रहीं। कार्यक्रम से जुड़े निलेश कुमार जैन ने बताया कि स्थानीय धनुपरा मुहल्ला स्थित श्री जैन बाला विश्राम में भगवान महावीर स्वामी और भगवान बाहुबली का मस्तकाभिषेक, शांतिधारा व पूजा-अर्चना किया गया। उन्होंने बताया कि धनुपरा से शोभायात्रा निकाली गई और जेल रोड स्थित श्री चन्द्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर तक कई जगह भव्य स्वागत किया गया। श्री जैन ने बताया कि धर्मसभा का शुभारंभ मंगलाचरण व भक्ति नृत्य के साथ आचार्य श्री को शास्त्र भेंट कर किया गया। इस अवसर पर शामिल जैन समाज के अध्यक्ष अजीत कुमार जैन, मंत्री सुवीर चन्द्र जैन, मुनिसंघ के मंत्री अजय जैन, संयोजक डॉ. शशांक जैन, वार्ड पार्षद रेखा जैन, प्रशांत जैन, विभु जैन, दीपक कुमार जैन, मनीष जैन, रौशन चन्द्र जैन, नीरज जैन, रुपाली जैन, मंजुला जैन, अंशु जैन, सुलोचना जैन, छवि जैन, शील जैन के अलावा गुजरात, भिड, टीकमगढ़, दिल्ली और पटना प्रांत के गुरुभक्त भी शामिल थे।

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अपने आप को कभी गरीब नहीं बोले आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने कहा कि जो मनुष्य अरिहंत प्रभु, नि‌र्ग्रन्थ गुरु और वीतरागी जिनवाणी के शरण में श्रद्धा रखता है, वह कभी गरीब नहीं हो सकता। अपने धर्मसभा में उन्होंने कहा कि अपने आप को कभी गरीब मत बोलना क्योंकि जो श्रद्धालु देवाधिदेव अरिहंत भगवान के चरणों की भक्ति करता है, उसके दुखों का हरण हो जाता है। आचार्य श्री ने कहा कि खुद की ²ष्टि में दोष खोजने वालों की मोक्ष है, परंतु अगर वही किसी दूसरे व्यक्ति का दोष खोजकर सुधार भी करवा देगा तो उसे मोक्ष नहीं है। उन्होंने पूरे विश्व को संदेश दिया कि जियो और जीने दो के सिद्धांत को अपनाकर कोरोना जैसी महामारी से भी शीघ्र मुक्ति पाया जा सकता है।


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