जांच से पहले शुरू होता इलाज, तो बच सकती थी कोरोना संक्रमित बबन की जान
जिले में कोरोना संक्रमितों की मौत का कारण एक तरफ जहां उनके अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के रूप में सामने आ रहा है वहीं जांच से पहले इलाज शुरू होने की प्रक्रिया में देरी होना भी मौत के प्रमुख कारण है।
भोजपुर । जिले में कोरोना संक्रमितों की मौत का कारण एक तरफ जहां उनके अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के रूप में सामने आ रहा है, वहीं जांच से पहले इलाज शुरू होने की प्रक्रिया में देरी होना भी मौत के प्रमुख कारण है। बीते अगस्त की शुरुआत में लगातार तीन दिनों तक जारी कोरोना संक्रमितों की मौत के बीच दो अगस्त को जिला मुख्यालय अंतर्गत सांस्कृतिक भवन स्थित सैंपल संग्रह केंद्र पर कोरोना की जांच कराने आए एक मरीज ने जांच के दौरान ही दम तोड़ दिया। बेशक जांच से पहले उसका इलाज शुरू हुआ होता तो शायद उसकी जान बच सकती थी। मृत संक्रमित बबन शर्मा, उम्र लगभग 65 वर्ष चौरी थाना क्षेत्र निवासी स्व. राज किशोर शर्मा का पुत्र था, जिसे कई दिनों से सर्दी, खांसी व बुखार की शिकायत थी। दो अगस्त को गंभीर स्थिति में उसके स्वजन उसे कोरोना जांच कराने को लेकर सांस्कृतिक भवन स्थित सैंपल संग्रह केंद्र लेकर आए थे। इसी बीच सैंपल देने के लिए कतार में खड़े उक्त वृद्ध की हालत और बिगड़ गई और देखते ही देखते सैंपल संग्रह केंद्र पर ही उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद वहां मौजूद अन्य लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई। मृत वृद्ध का सैंपल लेकर जब उसकी जांच की गई, तो वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया। बाद में मृतक के साथ आए स्वजनों ने सैंपल संग्रह केंद्र के बाहर सड़क जामकर हंगामा भी किया था, पर इस मामले में अब तक किसी पर कोई कार्रवाई नही हुई। इस संबंध में कोरोना मामलों के नोडल पदाधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार सिन्हा बताते हैं कि मरीज की हालत गंभीर होने पर जांच के साथ-साथ प्राथमिक उपचार की प्रक्रिया भी जारी रखनी चाहिए।