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दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए चरपोखरी में बना डेरी भवन जर्जर

प्रखंड मुख्यालय परिसर में लाखों रुपए के खर्च से बने डेयरी भवन आज भूत बंगला तब्दील हो चुका है।भवन की दीवारों और दरवाजों को दीमक चाट रहे हैं।भवन के चारों तरफ लगे खिड़की के ग्रिल में जंग लग चुका हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2022 11:09 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2022 11:09 PM (IST)
दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए चरपोखरी में बना डेरी भवन जर्जर

चरपोखरी (भोजपुर)। प्रखंड मुख्यालय परिसर में लाखों रुपए के खर्च से बने डेयरी भवन आज भूत बंगला तब्दील हो चुका है।भवन की दीवारों और दरवाजों को दीमक चाट रहे हैं।भवन के चारों तरफ लगे खिड़की के ग्रिल में जंग लग चुका हैं। दीवारों पर जंगली पौधे उग आए हैं। इसको देखने वाला कोई नही है। जरूरत के अनुसार इसमें हल्का फुल्का साफ सफाई की जाती है। जबकि, क्षेत्र में दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए यह बनाया गया था।

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जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा किसानों के खुशहाली एवं आय बढ़ाने के उद्देश्य से चरपोखरी प्रखंड मुख्यालय परिसर में लगभग चार वर्ष पूर्व लाखों रुपये के खर्च से डेयरी भवन का निर्माण कराया गया था।जिसमें दुग्ध बिक्री केंद्र के अलग अलग काउंटर एवं बैठक करने के लिए एक बड़ा हॉल सहित शौचालय बनाया गया है। दूध को सहेजने के लिए इसमें कोल्ड चेन भी विकसित होना था। आज तक ना ही उद्देश्य पूरा हुआ और ना ही आज यह भवन सुरक्षित रहा। देखरेख के अभाव में यह भवन दम तोड़ दिया।जिससे सरकार के लाखों रुपए की योजना बिल्कुल बर्बाद सी होती नजर आ रही है। क्या कहते है लोग:-

चरपोखरी निवासी सिंटू सम्राट ने कहा कि प्रखंड परिसर में बड़े ही तामझाम के साथ डेरी भवन का निर्माण हुआ था. लेकिन आज तक इसमें दूध का लेन देन का कार्य शुरू नही हुआ.और वर्तमान समय मे अब यह भवन कोई काम का नही रहा। वहीं, ग्रामीण गोविंद सिंह ने बताया कि लाखों रुपये खर्च कर भवन बनाया गया था।उस वक्त लगा था कि डेरी भवन संचालित होने से प्रखंड परिसर का रौनक बढ़ेगा।लेकिन आज इस भवन का ही रौनक बिगड़ गया है,इसकी दीवाले रंगीन से काली हो गई है । इधर, देकुड़ा निवासी विकास गुप्ता ने कहा कि डेरी भवन देख रेख के अभाव में अपना सौंदर्यता खो दिया,अन्यथा जिस नक्से से इसका निर्माण हुआ है।अगर उपयोग होता तो प्रखंड का बेहतर केंद्र होता। दुर्भाग्य इसका उपयोग दूर भवन ही बर्बाद हो रहा है। वहीं, भैरोडीह निवासी नीतीश कुमार ने कहा कि, डेरी भवन का उपयोग अगर दूध लेन देन के लिए नही हुआ तो इसमें अन्य कार्यों के निष्पादन के लिए कर्मियों को बैठना चाहिए था, जिससे लोगो की सुविधा भी होती और भवन का देखरेख भी नियमित होता।

इस बाबत चरपोखरी के प्रखंड विकास पदाधिकारी विभेष आनंद का कहना है कि डेरी भवन किस उद्देश से बना है, इसका कोई लिखित दस्तावेज नहीं है। स्थानीय चर्चा के अनुसार कापरेटीव के विकास के लिए हुआ था। अगर जीविका इस भवन को मांग करता है, तो दिया जा सकता है। जहां बैठक, कार्यशाला आदि का आयोजन किया जा सकता है। उसके लिए कुछ राशि देय होती है।


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