सोई रही भोजपुर की समिति, बक्सर की रिपोर्ट पर हुई कार्रवाई
विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान आरा की देखभाल और समय-समय पर संबंधित पदाधिकारियों को सुझाव और मार्गदर्शन के लिए समाज कल्याण विभाग पटना द्वारा गठित भोजपुर में बाल कल्याण समिति की ईमानदार छवि एवं कर्तव्य परायणता पर अब सवाल उठने लगे हैं।
आरा। विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान, आरा की देखभाल और समय-समय पर संबंधित पदाधिकारियों को सुझाव और मार्गदर्शन के लिए समाज कल्याण विभाग, पटना द्वारा गठित भोजपुर में बाल कल्याण समिति की ईमानदार छवि एवं कर्तव्य परायणता पर अब सवाल उठने लगे हैं। विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान, आरा से जिला बाल कल्याण समिति, भोजपुर के कार्यालय की दूरी महज दो सौ से तीन सौ मीटर ही है। परंतु समिति ने शायद कभी उस तरह की रिपोर्ट संबंधित पदाधिकारियों को नहीं दी, जिस तरह की रिपोर्ट बक्सर की कल्याण समिति ने सौंपी है। यदि भोजपुर की समिति अपने कर्तव्य एवं दायित्व का ख्याल करती तो शायद दो बच्चों की मौत नहीं होती और उनकी जान बच जाती। जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक और जिला बाल कल्याण समिति भोजपुर का कार्यालय एक ही भवन में अवस्थित है। लगभग 75 किलोमीटर की दूरी तय कर बक्सर जिले की बाल कल्याण समिति अक्सर यहां पहुंचकर निरीक्षण किया है। हर बार इस समिति ने निरीक्षण में व्यवस्था की खामियों एवं कर्मियों की लापरवाही से संबंधित रिपोर्ट अधिकारियों को भेजा है। परन्तु भोजपुर की समिति अपने कर्तव्य और दायित्वों से मुंह मोड़ कर सोई रही। बक्सर की समिति ने जब अधिकारियों को यहां की कुव्यवस्था और कर्मियों की घोर लापरवाही की रिपोर्ट अधिकारियों को भेजी तो दैनिक जागरण की पड़ताल के बाद बवाल मच गया और कार्रवाई हुई। भोजपुर की समिति सिस्टम कि वाहवाही को लूटने में मशगूल रही। इस समिति ने कभी भी यहां की कुव्यवस्था एवं कमियों को रेखांकित करती हुई एक भी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों एवं संस्थान से जुड़े पदाधिकारियों को नहीं दी है। यदि यहां की समिति अक्सर निरीक्षण करती तो शायद आज दिखने वाली कमियां और खामियां नहीं होती, न बेमौत बच्चे मारे जाते। इससे साफ जाहिर है कि यह समिति सरकार की सुविधा एवं संसाधन का केवल दुरुपयोग कर रही है। वहीं दूसरी ओर भोजपुर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मनोज प्रभाकर को इस संबंध में पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल नंबर पर दो दिनों से लगातार संपर्क किया जा रहा है। परंतु वे कॉल को रिसीव नहीं कर रहे हैं।
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भोजपुर की तीन सदस्यीय समिति पर प्रतिमाह सरकार का खर्च होता है 90 हजार:
राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग के अधीन संचालित भोजपुर की बाल कल्याण समिति तीन सदस्यीय है। इस समिति पर सरकार प्रतिमाह लगभग 90 हजार रुपए खर्च करती है। प्रत्येक सदस्य को अध्यक्ष समेत प्रति माह लगभग 30 हजार रूपए का भुगतान 20 बैठकों के लिए किया जाता है। प्रत्येक बैठक पर अध्यक्ष समेत सभी सदस्यों को 15 सौ रुपए निर्धारित किया गया है, जो अधिकतम 20 बैठकों के लिए मान्य है और राशि का भुगतान किया जाता है।
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वर्ष 2016 से समिति और संस्थान है कार्यरत:
समाज कल्याण विभाग के अधीन संचालित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान और बाल कल्याण समिति वर्ष 2016 से संचालित है। विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में परित्यक्त बच्चों को आवासित कर भरण पोषण किया जाता है। जिसके लिए सरकार खर्च करती है।
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राज्य सरकार ने लिखित और मौखिक परीक्षा के बाद समिति सदस्यों को किया नियोजित
आरा: राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग ने विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में आवासित बच्चों के रख-रखाव एवं देखभाल के लिए जिले में बाल कल्याण समिति का गठन किया है। जिसमें अध्यक्ष मनोज प्रभाकर समेत तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।