बारिश में बढ़ी डायरिया की खतरा, शिशुओं के स्वास्थ्य पर रखें विशेष नजर
बारिश में डायरिया की समस्या आम हो जाती है और ससमय इसका प्रबंधन नहीं होने से यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
बारिश में बढ़ी डायरिया की खतरा, शिशुओं के स्वास्थ्य पर रखें विशेष नजर
जागरण संवाददाता, आरा: भोजपुर जिले में मानसून की शुरुआत हो चुकी है। पर, बारिश की फुहारों का आनंद उठाते समय अपने खानपान एवं साफ-सफाई पर भी ध्यान देने की जरुरत है। बारिश के मौसम में डायरिया की समस्या आम हो जाती है और ससमय इसका प्रबंधन नहीं होने से यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर डायरिया से बचाव की जरूरत भी अधिक है। डायरिया के कारण बच्चों में अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं बढ़ जाती हैं।
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लक्षण दिखे तो नहीं करें अनदेखा
डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता के साथ सही समय पर उचित प्रबंधन कर डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से बचा जा सकता है। ऐसे में डायरिया का लक्षण दिखते ही मरीज तथा उसके घरवालों को सजग हो जाना चाहिए। प्राथमिक उपचार के रूप में ओआरएस का घोल दिया जा सकता है, जिससे निर्जलीकरण की स्थिति से बचा जा सके। अगर मरीज को इससे राहत न मिले तो बिना विलम्ब किये तुरंत मरीज को चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। ताकि शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके। इसमें विलम्ब जानलेवा साबित हो सकता है।
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नियमित स्तनपान से शिशु का डायरिया से होता है बचाव
एसीएमओ डा. केएन सिन्हा ने बताया कि शिशुओं को डायरिया से बचाने के लिए नियमित स्तनपान पर अधिक जोर देने की जरूरत है। छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने से शिशु का डायरिया एवं निमोनिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव होता है। डायरिया के लक्षण यदि ओआरएस के सेवन के बाद भी रहे, तो अविलम्ब मरीज को डाक्टर के पास ले जाएं तथा उचित उपचार कराएं। उन्होंने बताया कि नीम हकीम द्वारा बताये गए उपायों से बचना चाहिए तथा ऐसी स्थिति में चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। बच्चों में डायरिया से होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण उपचार में की गई देरी होती है। बारिश के मौसम में जल जनित संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में भोजन बनाने और खाते समय साफ सफाई रखने के अलावा शुद्ध जल का सेवन अनिवार्य है।
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ये है डायरिया के लक्षण
- लगातार पतले दस्त का होना
- बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना
- प्यास का बढ़ जाना
- भूख का कम हो जाना या खाना नहीं खाना
- दस्त के साथ हल्का बुखार आना
- दस्त में खून आना