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बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड: छह साल, 10 लाख का इनाम ...फिर भी नहीं मिला मुकाम

1 जून 2012 को रणवीर सेना के सुप्रीमो बरमेश्वर मुखिया की हत्या कर दी गई थी। छह साल बाद भी उनके हत्‍यारों का सुराग नहीं मिला है। सीबीआइ आज तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 01 Jun 2018 01:55 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jun 2018 11:29 PM (IST)
बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड: छह साल, 10 लाख का इनाम ...फिर भी नहीं मिला मुकाम
बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड: छह साल, 10 लाख का इनाम ...फिर भी नहीं मिला मुकाम

भोजपुर [दीपक]। 1 जून 2012 को रणवीर सेना के सुप्रीमो बरमेश्वर सिंह मुखिया की हत्या कर दी गई। हत्या के विरोध में बिहार में हुए आंदोलन पर सरकार ने पहले एसआइटी का गठन किया और सच सामने न आने पर सीबीआइ जांच का आदेश दिया। इस चर्चित हत्याकांड को हुए छह साल बीत चुके हैं। लेकिन, सीबीआइ किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। परिजनों का आरोप है कि मुखिया के कातिल आजाद घूम रहे हैं। सीबीआइ ने कातिलों का सुराग पाने के लिए 10 लाख रुपये इनाम देने देने की घोषणा भी की थी।

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टहलने के दौरान मारी गई थी गोली

पवना थाना क्षेत्र के खोपिरा गांव निवासी स्व. बरमेश्वर मुखिया का आवास कतीरा, स्टेशन रोड में अवस्थित है। 1 जून 2012 को मुखिया अपने आवास की गली में ही टहल रहे थे। उसी दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना को लेकर आरा, पटना, औरंगाबाद, जहानाबाद एवं गया जिला समेत अन्य जगहों पर उपद्रव हुआ था। मुखिया के बेटे इंदू भूषण सिंह ने आरा के नवादा थाना में अज्ञात के विरुद्ध केस दर्ज कराई थी।

एसआइटी से सीबीआइ तक

तीस दिनों के अंदर एसआइटी ने अपनी जांच रिपोर्ट डीजीपी को सौंपी थी। जिसके बाद तत्कालीन डीजीपी अभयानंद ने पटना में प्रेस कांफ्रेंस कर घटना के मूल में रंगदारी के लिए विरोध करने पर हत्या किये जाने की बात कही थी। बाद में एसआइटी को भंग कर तत्कालीन भोजपुर एसपी एमआर नायक को जांच सौंप दी गई थी और सीबीआइ ने जुलाई 2013 से कांड का अनुसंधान शुरू किया था।

नहीं मिले ठोस साक्ष्य

सीबीआइ ने अनुसंधान के दौरान मुख्य रूप से तीन बिन्दुओं पर जांच की थी। जिसमें हथियार संबंधी विवाद, संगठन के अंदर वर्चस्व से लेकर भाकपा माले से चली आ रही प्रतिशोध की लड़ाई से जोड़कर जांच की थी। पूर्व में संगठन के अंदर हुई हत्याओं को भी आधार मान तफ्तीश चली थी। पूछताछ के लिए कुछ लोगों को तरारी प्रखंड से पटना भी बुलाया गया था। सीबीआइ जांच कर रही है।

वर्तमान में इंस्पेक्टर अरुण कुमार को केस का आइओ बनाया गया है। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि कातिलों का सुराग बताने वालों को 10 लाख इनाम देने की घोषणा के बाद कई फोन कॉल आये जो भी सूचनाएं आईं। उसकी गंभीरता से जांच कराई गई थी। लेकिन, ठोस साक्ष्य नहीं मिले।

बेटे का आरोप, दबाव में काम कर रही जांच एजेंसी

मुखिया के बेटे एवं अखिल भारतीय राष्ट्रवादी किसान संगठन के अध्यक्ष इंदू भूषण सिंह ने बताया कि जांच एजेंसी सरकार के दबाव में काम कर रही है। जिसके चलते अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है।

अभी चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है। इनाम की राशि घोषित होने के बाद मोबाइल पर उस समय कई सूचनाएं आई हुई थी, जिस पर लगातार जांच चल रही है। हालांकि, कोई ठोस क्लू नहीं मिल सका है। हर एंगिल पर विभागीय जांच चल रही है।

-एके सिंह, डीएसपी, सीबीआइ


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