बड़ी आबादी के लिएआफत बनती बाढ़ और सुखाड़
प्राकृतिक आपदा की मार अब भोजपुर जनपद के लोगों के लिए कोई नई बात नहीं रह गई है।
आरा। प्राकृतिक आपदा की मार अब भोजपुर जनपद के लोगों के लिए कोई नई बात नहीं रह गई है। तभी तो कभी बाढ़, कभी सुखाड़, कभी अतिवृष्टि, चक्रवात, ओलावृष्टि एवं अग्निकांड जैसी विभिषिका को झेलना यहां के लोगों की अब नियति बन गई है। शासन-प्रशासन की भूमिका प्राकृतिक विपदा के समय में लोगों के दुखती रग पर राहत के रूप में मरहम पट्टी से आगे नहीं बढ़ती है। जन प्रतिनिधि केवल आश्वासन ही देते हैं।
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कौन-कौन प्रखंड होते हैं तबाह :
बाढ़ से बड़हरा प्रखंड के 22 पंचायतों के 70 ग्राम, कोईलवर प्रखंड के 2 पंचायतों के दो ग्राम, शाहपुर प्रखंड के 13 पंचायतों के 47 ग्राम, आरा सदर प्रखंड के 15 पंचायतों के 23 ग्राम, बिहिया प्रखंउ के 6 के 23 ग्राम तथा उदवंतनगर प्रखंड के 6 पंचायतों के 14 ग्राम तबाह हो जाते है। इस तरह 64 पंचायतों की 179 गांवों में बाढ़ का तांडव होता है।
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कहां होती है कितनी जनसंख्या प्रभावित:
बाढ़ से बड़हरा की लगभग 1 लाख 40 हजार, कोईलवर प्रखंड की 35000, शाहपुर प्रखंड की 1 लाख 44 हजार 341, बिहिया प्रखंड की 71,359 आरा सदर प्रखंड की 45,450 तथा उदवंतनगर प्रखंड की 50,906 आबादी प्रभावित हो जाती है।
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बाढ़ से तबाही का नहीं हो सका स्थायी हल :
बक्सर कोईलवर गंगा तटबंध में बड़हरा प्रखंड के अंतर्गत नेकनाम टोला के समीप 0.8 किलोमीटर एवं सलेमपुर-पीपरपांती के समीप 5 किलोमीटर गैप रहने के चलते भोजपुर जनपद की बड़ी आबादी हर साल तबाह होती है और शासन-प्रशासन द्वारा राहत बचाव के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये जाते है। वैसे पिछले वर्ष इस पर कुछ काम जरूर हुआ है।
------- गंगा से कटाव का नहीं हो सका समाधान:
गंगा नदी की धारा में परिवर्तन के साथ भोजपुर के बड़हरा प्रखंड क्षेत्रों में कटाव का सिलसिला आज भी जारी है। दर्जनों गांव बार-बार कटाव में विलिन हुए और आज भी कटाव के मुहाने पर खड़े है। परंतु कटाव का स्थायी हल अब तक नहीं हो सका।