भाई-बहन के प्रेम को प्रगाढ़ बनाता 'भैयादूज'
भाई-बहन के पवित्र व स्नेहिल संबंध को और प्रगाढ़ बनाने वाला त्योहार भैयादूज है।
भोजपुर। भाई-बहन के पवित्र व स्नेहिल संबंध को और प्रगाढ़ बनाने वाला त्योहार भैयादूज यूं तो पूरे देश में मनाया जाता है पर शाहाबाद प्रक्षेत्र में इस त्योहार को लेकर बहनों में खास उमंग एवं उत्साह देखा जाता है। रक्षाबंधन की तरह इस त्योहार को भी बहने अपने भाई के सुखी सम्पन्न व दीर्घायु होने की कामना के साथ मनाती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को आयोजित होने वाले इस त्योहार के दिन बहनें अपनी क्षमता के अनुसार बढि़या स्वादिष्ट, पौष्टिक, सात्विक भोजन तैयार कर अपने हाथों स्वयं परोस कर भाई को खिलाती हैं तथा दही,अक्षत, चंदन और रोरी का तिलक लगाकर उसके दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना करती है।
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क्या है इस त्योहार के पीछे धार्मिक मान्यता?
लोक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को मृत्यु के देवता यमराज को उनकी बहन यमुना ने अपने घर आमंत्रित कर उन्हें बडे़ प्यार से अपने हाथों का भोजन कराया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने जब अपनी बहन से मनचाहा वरदान मागने को कहा तो बहन विनीत स्वर में बोली - आज के दिन जो भाई अपनी बहन के यहां जाकर उसके हाथ का परोसा भोजन करे और उससे चंदन-रोरी का टीका लगवाये, उसे आप कभी अकाल मौत न दें तथा हरसंभव उसे कष्टों से दूर रखें। यमराज ने बहन की यह प्रार्थना स्वीकार कर ली और तथास्तु कहकर यमलोक लौट गए। कहा जाता है कि इसी मान्यता को ध्यान में रखकर बहने भाई को अकाल मृत्यु से बचाने के लिए इस दिन यमराज से प्रार्थना करती हैं। शाहाबाद अंचल में इस दिन गोधन कुटने की भी प्रथा है। गाव की युवतिया इस दिन किसी विशेष स्थान पर गोबर की मानव मूर्ति बनाकर उसकी छाती पर ईट रखकर मूसल से उसे कुटती हैं। तत्पश्चात् पूजा अर्चना कर गुड़ और चना का प्रसाद अपने भाई को खिलाती हैं। किसी कारणवश इस दिन घर न आ पाने वाले भाईयों के लिए बहने यह प्रसाद लिफाफे में बंद कर उसके पास भेजती हैं। इस दिन गोधन कुटने के बाद बहनें रेंगनी का काटा लेकर अपने जीभ में चुभोती हैं और भाईयों को श्राप देती है। इस श्राप के पीछे मान्यता यह है कि ऐसा करने से भाई की उम्र और बढ़ती है। इस तरह यह त्योहार भ्रातृत्व भाव और आत्मीयता का बोध कराते हुए भाई-बहन के प्रेम को प्रगाढ़ बनाता है।