छठ पर्व में भोजपुर के बालबांध सूर्यमंदिर का है विशेष महत्व
गड़हनी-बागर पथ के बालबांध गांव स्थित मुख्य सड़क किनारे अवस्थित है बालबांध का सूर्य मंदिर।
आरा। गड़हनी-बागर पथ के बालबांध गांव स्थित मुख्य सड़क किनारे अवस्थित है बालबांध का सूर्य मंदिर। यहां छठ व्रत करने का अपना महत्व है। यहां भगवान सूर्य की एकमात्र ऐसा भव्य मंदिर है जो पश्चिमाभिमुख न होकर पूर्वाभिमुख है जो छठ व्रतियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां अवस्थित तालाब में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है। जबकि सूर्य मंदिर के आगे सात घोड़ों पर सवार भगवान सूर्य देव की ऐसी प्रतिमा है मानो वे साक्षात धरती पर उतर रहे हैं। उनकी मनोरम छवि का दर्शन कर श्रद्धालु संतुष्ट हो जाते हैं। बताया जाता है कि महान संत ब्रह्महलीन जगदाचार्य महामंडलेश्वर 1008 स्वामी अखिलेशजी महाराज ने मंदिर निर्माण हेतु ग्रामीणों व आसपास के लोगों में भक्ति की भावना जगाई। उनके अथक प्रयास के बाद सूर्य मंदिर का निर्माण हो सका। स्वामी जी के पुत्र डॉ राघवेंद्र भट्ट बताते है मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था तब हम सभी में एक सकारात्मक विद्युत धारा निरंतर प्रवाहित हो रही थी। जब मैंने पिताजी से पूछा कि सूर्यमंदिर ही क्यों ? तो उन्होंने कहा मैं सूर्यमंदिर का नही ,धर्म की पहली सीढ़ी का निर्माण कर रहा हूं। स्वामी जी के शिष्य अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि गुरुदेव की जागृत साधना से ये सूर्यमंदिर का निर्माण हुआ। सूर्य मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि छठ व्रर्तियों की सुविधा को ले वे काफी सक्रिय हैं। बालबांध के पूर्व मुखिया अवधबिहारी साह का कहना है कि भगवान सूर्य नारायण का यह स्वरूप अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता। बालबांध का सूर्य मंदिर श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है।