बुद्घ पूर्णिमा : भगवान विष्णु की करें पूजा, जानें शुभ मुर्हूत और पूजन विधि
हिंदू धर्म में वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे गौतम बुद्ध के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है।
भागलपुर, जेएनएन। वैशाखी यानी बुद्ध पूर्णिमा 07 मई 2020 (गुरुवार) को है। हर साल इस दिन बड़ी संख्या में लोग गंगा स्नान के लिए बरारी घाट, हनुमान घाट समेत अन्य घाटों पर पहुंचते थे, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण गंगा घाटों पर सन्नाटा रहेगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ. एसएन झा ने कहा कि पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है। संक्रमण चेन को तोडऩे के लिए लॉकडाउन का पालन करना जरूरी है। ऐसे में गंगा तट पर स्नान के लिए न जाएं। घर पर ही स्नान के बाद गंगा जल का शरीर पर छिड़काव कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
प्रारंभ : 06 मई - 7:44 बजे सुबह से
समाप्त : 07 मई - संध्या 4:14 बजे तक
इस तरह करें पूजा
सूर्योदय से पहले जग कर घर की साफ-सफाई करें। स्नान करने के बाद घर के अंदर गंगा जल का छिड़काव करें। इसके बाद शारीरिक दूरी का पालन करते हुए भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराने और वस्त्र दान करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
गोबरांय, भागलपुर निवासी पौराणिक कथा व्यास आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज (अध्यक्ष, सेवाकुंज समाज सेवा ट्रस्ट) ने कहा कि वैशाख पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) दिन दान-पुण्य करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और कष्टों से छुटकारा मिलता है। इस समय गर्मी अपने चरम पर होती है इसलिए जल और जल से संबंधित वस्तुओं का दान करने का बड़ा महत्व है।
आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज ने कहा कि वैशाख पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान करवाने के बाद शुद्ध जल से स्नान करवाएं और कुमकुम, अक्षत, अबीर, गुलाल, हल्दी मेहंदी, सुगंधि फूल आदि से पूजा करें। पंचामृत, पंचमेवा, ऋतुफल, मिठाई आदि का भोग लगाएं। घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं। भगवान विष्णु की आरती के साथ पूजा का समापन करें और पूजा के बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन करवाएं, दान करें।
आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज ने कहा कि इस तिथि को सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु का 23वें अवतार महात्मा बुद्ध के रूप में अवतरीत हुए थे, इसलिए बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इस दिन का बड़ा महत्व हैं।