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विश्व वन्यप्राणी दिवस : यहां होता है घायल पशु-पक्षियों का इलाज, अस्पताल में है यह सुविधा

विश्व वन्यप्राणी दिवस विश्व के पहले गरुड़ पुनर्वास केंद्र में 14 का चल रहा इलाज। बंदर से लेकर अजगर तक को ठीक कर भेजा गया है जंगल। बिहार-झारखंड के तस्करों से मुक्त कराकर कछुआ का होता है इलाज।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 09:42 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 09:42 AM (IST)
विश्व वन्यप्राणी दिवस : यहां होता है घायल पशु-पक्षियों का इलाज, अस्पताल में है यह सुविधा
भागलपुर के सुंदरवन में है घायल पशु-पक्षियों का अस्पताल

भागलपुर [नवनीत मिश्र]। कदवा दियारा में कदम के पेड़ से मंगलवार एक बड़े गरुड़ का बच्चा गिर गया। उसके दाहिने तरफ के डायने में काफी चोट लगी थी। ग्रामीणों ने इसकी सूचना केयर टेकर नगीना राय को दी। नगीना बिना देर किए उसे बक्से में बंद कर सुंदरवन स्थित विश्व के एकलौते गरुड़ पुनर्वास केंद्र लाया। जहां चिकित्सक संजीत कुमार ने मरहम-पट्टी कर उसका इलाज किया। अब गरुड़ का बच्चा खतरे से बाहर है। ऐसे 13 और दुर्लभ गरुड़ का इलाज गरुड़ पुनर्वास केंद्र में चल रहा है। सभी गरुड़ स्वस्थ है और उसे आजाद करने की तैयारी चल रही है। 2014 में गरुड़ पुनर्वास केंद्र की स्थापना हुई थी। 

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डेढ़ दर्जन कछुआ का चल रहा इलाज

सुंदरवन स्थित बिहार-झारखंड का एकलौता कछुआ पुनर्वास केंद्र में फिलहाल डेढ़ दर्जन कछुआ का इलाज चल रहा है। सभी कछुआ को तस्करों से मुक्त कराकर पुनर्वास केंद्र में लाया गया है। पानी में रहने वाले इंडियन टेंट टर्टर को नवगछिया जीआरपी ने मुक्त कराकर वन विभाग को सौंपा है। जबकि पानी के बाहर और दियारा इलाके में बालू के नीचे रहने वाले फ्लैट सेल टर्टर को ग्रामीणों ने मुक्त कराकर कछुआ पुनर्वास केंद्र लाया है। यह गर्मी के दिनों में बाहर निकलता है। सभी का इलाज चल रहा है। और गर्मी पडऩे के बाद इसे गंगा नदी में छोड़ा जाएगा। कछुआ पुनर्वास केंद्र की शुरूआत पिछले वर्ष फरवरी में हुई है। 

पागल बंदर का चल रहा इलाज

नवगछिया इलाके में एक काला मुंह वाला बंदर ने आतंक मचा रखा था। डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों को काट खाया था। इसकी सूचना वन विभाग को दी गई। लेकिन वन विभाग भी उसे पकडऩे में सफल नहीं हुए। अंत में ग्रामीणों ने बंदर को पकड़कर सुंदरवन के हवाले कर दिया गया। सबौर में एक बंदर सड़क दुर्घटना में घायल हुआ था। उसका एक पैर काटकर इलाज किया जा रहा है। 

एयरगन के छर्रे से अंधी हो गई जांघिल

सुपौल में एक व्यक्ति ने एयरगन से जांघिल को मारने का प्रयास किया। छर्रा उसकी आंख में लगा। जागरूक ग्रामीणों ने उसे सुंदरवन पहुंचा दिया। काफी इलाज के बाद जांघिल ठीक तो हो गई, लेकिन उसका आंख ठीक नहीं हो पाया। गरुड़ पुनर्वास केंद्र में उसको रखा गया है। उसके मुंह में डालकर मछली खिलाया जाता है और पानी पिलाया जाता। कटिहार से भी घायल जांघिल को इलाज के लिए गरुड़ पुनर्वास केंद्र लाया गया है। जांघिल जरुड़ की ही एक प्रजाति है। 

कई दुर्लभ पक्षियों का हो चुका इलाज

सुंदरवन में पशु-पक्षियों के साथ-साथ सांप, बिच्छू, जंगली जानवर, छिपकली का भी इलाज होता है। लोग घायल पशु-पक्षियों को लेकर आते हैं और उन्हेंंं वन विभाग के चिकित्सक को इलाज के लिए सौंप जाते हैं। यहां गरुड़ सहित कई विदेशी पक्षियों, कछुआ, बंदर, सांप आदि का इलाज चल रहा है। हाल के दिनों में एक दर्जन के करीब उल्लू का इलाज कर छोड़ा गया है। पांड हिरण, रिवर लैपविंग जैसी पक्षियों का यहां इलाज किया गया है। कोबरा, अजगर सहित कई प्रजातियों के सांपों का इलाज कर जंगल में छोड़ा गया है। 

कदवा में दुर्लभ गरुड़ का 80 घोंसला

नवगछिया पुलिस जिले के कदवा दियारा में अभी दुर्लभ गरुड़ के 80 घोंसले मौजूद हैं। इन घोंसलों में दो से तीन बच्चे हैं। साथ ही जांघिल के 30 घोंसले और घोंघिल के 20 घोंसले हैं। दुर्लभ गरुड़ की संख्या छह सौ के करीब है। खैरपुर मध्य विद्यालय के पिपल के पेड़ पर इस साल भी दुर्लभ के 15 घोंसले मौजूद है। इसी पीपल के पेड़ पर 2006 में पहली बार दुर्लभ गरुड़ (ग्रेटर एडजुटेंट) को देखा गया था। तब कदवा दियारा में इसकी संख्या 78 थी। 2019-20 में इसकी संख्या करीब सात सौ हो गई थी। लेकिन हाल के वर्षों में खगडिय़ा जिले के महेशखुंट, पसराहा, सतीशनगर, बेलदौर, महेशपुर आदि क्षेत्रों में भी गरुड़ ने आशियाना बना लिया है। 

डॉल्फिन की अंठखेलियां देखने पहुंच रहे लोग

सुल्तानगंज से कहलगांव के बीच गंगा नदी में ढाई सौ के करीब डॉल्फिन है। इसकी अंठखेलियां देखने लोग दूर-दराज से आने लगे हैं। लोग नौका विहार कर डॉल्फिन की अंठखेलियां देखते हैं। पश्चिम बंगाल और झारखंड के विभिन्न जिलों के लोग भागलपुर पहुंचकर डॉल्फिन को देख रहे हैं। 

पशु-पक्षियों को बचाने के प्रति लोगों में जागरूकता आई है। लोग पशु-पक्षियों को इलाज के लिए पहुंचा रहे हैं। लोग इसका संरक्षण भी कर रहे हैं। - भरत चिंतपल्लि, जिला वन पदाधिकारी

सुंदरवन स्थित अस्पताल में पशु-पक्षियों को ठीक करने के लिए हर संभव प्रयास होता है। उनकी बेहतर तरीके से चिकित्सा की जाती है। लोगों में पशु-पक्षियों के प्रति जागरूकता आई है। - डॉ. अमित कुमार, मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, सुंदरवन


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